नई दिल्ली । तेल निर्यातक देशों के संगठन (OPEC) और उसके सहयोगी देशों ने बुधवार को सितंबर में उत्पादन (Production) पिछले महीनों की तुलना में धीमी गति से बढ़ाने का फैसला किया है। यह निर्णय ऐसे समय किया गया है जब रूस-यूक्रेन युद्ध (Russo-Ukraine War) के कारण तेल (Oil) के दाम चढ़े हुए हैं और आपूर्ति अस्थिर बनी हुई है। ओपेक और उसके सहयोगी देशों (ओपेक प्लस) ने कहा कि वे अगले महीने 1,00,000 बैरल प्रतिदिन उत्पादन बढ़ाएंगे जबकि जुलाई और अगस्त में यह 6,48,000 बैरल प्रतिदिन था। समूह ने बैठक में बढ़ती महंगाई और कोविड-19 के बढ़ते मामलों को देखते हुए मांग पर पड़ने वाले प्रभाव पर गौर किया। ईंधन के जानकारों का कहना है कि ओपेक देशों के इस फैसले से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम कम होंगे। ये भारत में पेट्राल-डीजल के दाम कम करने में मदद करेगा क्योंकि हम अपनी जरूरत को पूरा करने के लिए आयात पर बहुत ज्यादा निर्भर हैं।
पहली आधिकारिक मासिक बैठक थी
सऊदी अरब की अगुवाई में ओपेक और रूस की अगुवाई वाले उसके सहयोगी देशों ने महामारी के दौरान मांग कम होने के कारण तेल के उत्पादन में कटौती की थी। कटौती की अवधि सितंबर में समाप्त हो रही है। अर्थव्यवस्थाओं में पुनरुद्धार के साथ ओपेक और सहयोगी देश तेल एवं गैस का उत्पादन धीरे-धीरे बढ़ाते रहे हैं। ओपेक के प्रमुख मोहम्मद सानुसी बरकिंडो का पिछले महीने निधन के बाद समूह की यह पहली आधिकारिक मासिक बैठक थी। कुवैत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन के हैशम अल-गेज ने इस सप्ताह ओपेक के महासचिव का पदभार संभाला।
बाइडन ने अनुरोध किया था
उत्पादन में वृद्धि का फैसला सऊदी अरब द्वारा अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के अनुरोध के मद्देनजर लिया गया है। बाइडन ने तेल उत्पादक देशों से उत्पादन बढ़ाने और पेट्रोल की कीमतों में कमी लाने का अनुरोध किया था। हाल के दिनों में वैसे भी कच्चे तेल की मांग कम हुई है। दुनिया में आर्थिक मंदी की आशंका के चलते कच्चे तेल की मांग कम हुई है। ऐसे में उम्मीद है कि आने वाले दिनों में पेट्रोल और डीजल के दाम फिर कम होंगे।
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