मंदसौर। मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले (Mandsaur district of Madhya Pradesh) में देश का इकलौता पशुपतिनाथ शिवलिंग स्थापित (Pashupatinath Shivling established) है। शिवनी नदी के तट पर स्थापित 7वीं सदी के इस प्राचीन शिवलिंग को स्वयंभू माना जाता है। पशुपतिनाथ की प्रतिमा अष्टमुखी है। जो कि काफी दुर्लभ है। इस शिव मंदिर में साल भर भक्तों का तांता लगा रहता है। लेकिन सावन के महीने में भक्तों का सैलाब उमड़ता है। बड़ी संख्या में कांवड़िए पशुपतिनाथ का जलाभिषेक करने पहुंचते हैं। सावन के महीने में खुद शिवना नदी भगवान पशुपतिनाथ का जलाभिषेक करती है।
भगवान शिव की अष्टमुखी प्रतिमा के आठ मुखों को शर्व, भव, रुद्र, उग्र, भीम, पशुपतिनाथ और महादेव हैं। मूर्ति के ऊपर के चार मुख में भगवान शिव बाल्यावस्था, युवावस्था, अधेड़ावस्था और वृद्धावस्था के रूप में हैं। पशुपतिनाथ मंदिर में मौजूद प्रतिमा 1940 में शिवना नदी से निकली है। 1961 में मंदिर के निर्माण के बाद प्रतिमा की स्थापना की गई थी। कहा जाता है कि भगवान पशुपतिनाथ की अष्टमुखी प्रतिमा का निर्माण विक्रम संवत 575 ईस्वी में सम्राट यशोधर्मन की हूणों पर जीत के बाद कराया गया था। लेकिन मूर्ति को मूर्तिभंजकों से बचाने के लिए इसे शिवना नदी में छुपा दिया गया था।
मंदिर में स्थित सातवीं शताब्दी की ये प्रतिमा सात फीट ऊंची और सात टन वजनी है। प्रतिमा का निर्माण एक ही विशाल शिवलिंग से किया गया है। मंदिर की मूर्ति को लेकर एक किंवदंति भी प्रचलित है, जिसके अनुसार भगवान शिव ने उदाजी नाम के एक धोबी को स्वप्न दिया था कि जिस विशाल पत्थर पर तुम कपड़े धोते हो वो मैं हूं मुझे नदी से बाहर निकालो। जब स्वप्न में बताए गए पत्थर को बाहर निकाला गया तो भगवान पशुपतिनाथ की दिव्य प्रतिमा मिली।
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