कीव। रूस और यूक्रेन के बीच चल रही जंग (russia ukraine war) के खत्म होने के आसार नहीं दिख रहे हैं। बढ़ते दिनों के साथ यूक्रेन (ukraine) पर रूस के हमले भी बढ़ते जा रहे हैं। इस युद्ध ने दुनियाभर में खाद्य सुरक्षा पर असर डाला है। इसको लेकर पिछले दिनों यूक्रेन से अनाज निर्यात पर दोनों देशों के बीच सहमति बनी थी। जिसके बाद यूक्रेन से अनाज निर्यात की तैयारियां भी शुरू हो गईं हैं, लेकिन इसी बीच रूस ने यूक्रेन के दक्षिणी शहर माइकोलाइव पर भारी बमबारी की है। रविवार को हुई इस बमबारी में देश के सबसे बड़े अनाज उत्पादकों व निर्यातकों में शामिल ओलेक्सी वडातुर्स्की और उनकी पत्नी की मौत हो गई। माइकोलाइव के गवर्नर विटाली किम ने इसकी जानकारी दी।
यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की ने जताया ओलेक्सी की मौत पर दुख
उन्होंने बताया कि अनाज निर्यातक ओलेक्सी वडातुर्स्की की कंपनी निबुलोन का मुख्यालय माइकोलाइव में स्थित है। ओलेक्सी वडातुर्स्की की कंपनी गेहूं, जौं और मक्का के उत्पादन और निर्यात में देश में अग्रणी है। कंपनी अपने जहाजों और शिपयार्ड से अनाज का निर्यात करती है। यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की ने ओलेक्सी की मौत पर दुख जताया है। उन्होंने इसे देश के लिए बड़ा नुकसान करार दिया।
गौरतलब है कि रूसी सेनाओं के तेज होते हमलों के बीच यूक्रेनी राष्ट्रपति ने बड़ा कदम उठाया है। जेलेंस्की ने सेना को पूर्वी डोनेस्क क्षेत्र को खाली कराने का आदेश दिया है। इसी बीच, तुर्की के राष्ट्रपति के एक प्रवक्ता ने यूक्रेन के तट से अनाज की खेप लेकर पहले जहाज के सोमवार को रवाना होने की संभावना जताई है।
पिछले दिनों हुए समझौते पर हस्ताक्षर
पिछले शुक्रवार को, रूसी और यूक्रेनी मंत्रियों ने इस्तांबुल में संयुक्त राष्ट्र के तत्वावधान में चल रहे युद्ध के बीच काला सागर के माध्यम से यूक्रेनी अनाज निर्यात को फिर से शुरू करने पर ब्लैक सी ग्रेन इनिशिएटिव पर हस्ताक्षर किए। संयुक्त राष्ट्र की योजना रूसी खाद्य और उर्वरक के वैश्विक बाजारों तक पहुंचने का मार्ग भी प्रशस्त करती है।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटारेस ने जताई थी खुशी
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटारेस ने इस समझौते को एक उम्मीद की किरण कहा था साथ कहा था कि यह समझौता एक संभावना की एक किरण और राहत की किरण है। साथ ही कहा था कि दुनिया में इसकी पहले से कहीं ज्यादा जरूरत है। बता दें कि मुख्य रूप से यूक्रेन से लगभग 20 मिलियन टन गेहूं, मक्का और अन्य अनाज के निर्यात की सुविधा के लिए महीनों की बातचीत के बाद अनाज समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे।
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