भोपाल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने रविवार को मन की बात कार्यक्रम में मध्य प्रदेश के भगोरिया मेले (Bhagoria Fair of Madhya Pradesh) का जिक्र किया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि एमपी का भगोरिया मेला खूब प्रसिद्ध है। कहते हैं कि भगोरिया मेले की शुरुआत राजा भोज के समय में हुई है। तब भील राजा, कासूमरा और बालून (Bhil king, Kasumara and Balun) ने अपनी-अपनी राजधानी में पहली बार ये आयोजन किए थे। तब से आज तक ये मेले उतने ही उत्साह से मनाए जा रहे हैं। आइए जानते है भगोरिया मेले की क्या है खासियत-
होली के एक सप्ताह पहले से ही मध्य प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य पश्चिम निमाड़ अलीराजपुर, झाबुआ का मिजाज रंगीन हो जाता है। क्योंकि भील-भीलाला आदिवासियों के भगोरिया मेला का आगाज हो जाता है। इसमें आदिवासी अपने पारंपरिक वेशभूषा में पहुंचते हैं। हालांकि अब मेले पर आधुनिकता भी हावी हो रही है। इसके बावजूद मेले में आदिवासी संस्कृति की झलक देखने को मिलती है। मेले में रंगारंग कार्यक्रम होते हैं। इस मेले के आयोजन पर दूसरे शहरों में रह रहे आदिवासी के लोग अपने-अपने गांव पहुंच जाते हैं।
पहले मेले का नाम भगोर था
ऐसा कहा जाता है कि राजा भोज के समय भील राजा कासूमरा और बालून के भगोल मेले का आयोजन करने के बाद दूसरे राजाओं ने भी मेला लगाना शुरू कर दिया। उस समय इसे भगोर कहा जाता था। इसके बाद धीरे धीरे इसका नाम भगोरिया प्रचलन में आ गया। उसी समय से भगोरिया मनाया जा रहा है।
आदिवासी झलक दिखती है
भगोरिया मेले में अलग-अलग समुह में आदिवासी बांसुरी, मांदल, ढोल बजाते नजर आते हैं। इस पर युवक-युवतियां आदिवासी पारंपरिक वेश-भूषा में नृत्य करते हैं। परिवार के साथ मेले में रंगारंग कार्यक्रम में भाग लेते हैं। यहां युवक-युवतियां टैटू गुदवाते हैं। युवतियां ठोड़ी के नीचे तीन बिंदी और युवक अपने हाथ पर नाम गुदवाते हैं। भगोरिया हाट में खान-पान से लेकर झूलों का भी आदिवासी खुब लुत्फ उठाते हैं।
यहां युवक-युवती के रिश्ते भी होते हैं तय
यहां युवक-युवती के रिश्ते भी तय होते हैं। युवक-युवतियां अपने पसंद का चुनाव करती हैं। इसके बाद परिवार उससे उनकी शादी करा देते हैं। ऐसी भी मान्यताएं हैं कि यहां पर युवक-युवती अपने प्रेम का इजहार पान और गुलाल लगा कर करते हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि यदि युवक युवती को पान दे और युवती उसे खा लेती है तो उसकी हां मानी जाती है। वहीं, एक दूसरे को गुलाल लगाने पर भी प्यार की हां मानी जाती है। हालांकि अब समय के साथ भगोरिया मेले में आधुनिकता ज्यादा होवी होती जा रही है।
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