नई दिल्ली: कुछ लोगों को कॉफी पसंद होती है तो कुछ को चाय. कुछ को कोल्ड्रिंक पसंद होती है तो किसी को जूस. कई लिक्विड पदार्थ सेहत के लिए अच्छे माने जाते हैं और कई अच्छे नहीं माने जाते. सबसे अधिक लोगों को कॉफी पीना पसंद होता है इसलिए लोग दिन की शुरुआत 1 कप स्ट्रांग कॉफी से करना पसंद करते हैं. इंडिया समेत दुनिया भर में कॉफी की काफी अधिक डिमांड होती है. 1 कप स्ट्रांग कॉफी पीने के बाद शरीर में ताजगी आ जाती है. कई लोग दिन की शुरुआत 1 कप स्ट्रांग कॉफी से करना पसंद करते हैं तो कुछ लोग दिन में किसी भी समय कॉफी पी लेते हैं. टेस्टी और हेल्दी कॉफी पीने शरीर में एनर्जी आ जाती है और अच्छा महसूस होता है.
कॉफी दुनिया की सबसे फेमस ड्रिंक्स में से एक है. स्टेटिस्टा रिसर्च डिपार्टमेंट की ओर से की गई रिसर्च के मुताबिक, वित्तीय वर्ष 2022 के दौरान पूरे भारत में कॉफी की खपत 1210 हजार 60 किलोग्राम थी. यह पिछले वर्ष की तुलना में अधिक थी. 2021 में वैश्विक कॉफी की खपत लगभग 165 मिलियन 60 किलोग्राम बैग थी, जिसमें यूरोपीय संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका में सबसे अधिक मात्रा में कॉफी की खपत हुई थी. रिसर्च के मुताबिक, कॉफी के सेवन से कुछ गंभीर बीमारियां जैसे: टाइप 2 डायबिटीज, फैटी लिवर डिसीज और कुछ कैंसर में मदद मिल सकती है. लेकिन क्या आप जानते हैं अधिक कॉफी पीने से आंखों की रोशनी भी जा सकती है.
ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है
Themirror के मुताबिक, अधिक कॉफी पीने से ग्लूकोमा यानी मोतियाबिंद हो सकता है. यह सामान्य आंख की स्थिति है लेकिन अगर इसका जल्दी और ठीक से इलाज नहीं किया गया तो आंखों से दिखना भी बंद हो जाता है. एक्सपर्ट का कहना है कि कॉफी में काफी मात्रा में कैफीन होता है इसलिए दिन में एक या दो दिन से ज्यादा कॉफी नहीं पीना चाहिए. अगर कोई प्रतिदिन निश्चित मात्रा से अधिक कॉफी का नियमित रूप से सेवन करता है तो उससे मोतियाबिंद होने का खतरा बढ़ जाता है.
दरअसल, कैफीनयुक्त ड्रिंक से ब्लडप्रेशर बढ़ जाता है जिससे आंखों में दबाव भी बढ़ जाता है. वहीं अगर किसी की आंखों में लगातार दबाव पड़ता है तो मोतियाबिंद हो सकता है. मोतियाबिंद दुनिया में सबसे अधिक अंधेपन का कारण माना जाता है. हार्वर्ड मेडिकल स्कूल की एक रिसर्च के मुताबिक, तीन या अधिक कप कॉफी पीने से ‘एक्सफोलिएशन ग्लूकोमा’ का जोखिम बढ़ गया था. मोतियाबिंद तब होता है जब शरीर में लिक्विड का निर्माण होता है और उससे आंखें ऑप्टिक नसों पर दबाव बढ़ा देती हैं. लेकिन यह जरूरी भी नहीं है कि अधिक कॉफी पीने से मोतियाबिंद होगा ही.
रिसर्च में शामिल लोगों को ग्लूकोमा की फैमिली हिस्ट्री थी जो कि भविष्य में मोतियाबिंद होने के जोखिम को बढ़ा देता है. अगर कोई व्यक्ति कभी-कभार अधिक कॉफी पीता है यानी हफ्ते में एक दिन तो उसे इस रिसर्च में शामिल नहीं किया गया था. जो लोग हर दिन तीन या उससे अधिक कप कॉफी पीते हैं, उन्हें शामिल किया गया था.
कितनी कॉफी पीनी चाहिए?
Healthline के मुताबिक, कॉफी में कैफीन की मात्रा अलग-अलग हो सकती है. यानी कि कभी एक कप कॉफी में 50mg कैफीन तो कभी 400mg कैफीन हो सकती है. सामान्य कॉफी के कप में औसतन 100mg कैफीन होता है. कई विशेषज्ञ इस बात से सहमत हैं कि एक दिन में लगभग 400 मिलीग्राम कैफीन यानी लगभग चार कप के बराबर होता है. मीडियम मात्रा में कैफीन पीना ना केवल आपकी आंखों के लिए बेहतर होता है बल्कि यह कई बीमारियों के जोखिम को भी कम करता है. कच्ची कॉफी बीन्स में क्लोरोजेनिक एसिड (सीजीए) होता है जो काफी अच्छा एंटीऑक्सिडेंट है जो ब्लडप्रेशर कम करने और ब्लड सर्कुलेशन कम करने में मदद करता है.
धीरे-धीरे होता है मोतियाबिंद
ग्लूकोमा आमतौर पर एक ऐसी स्थिति है जो वृद्ध और वयस्कों को प्रभावित कर सकता है. यह काफी धीरे-धीरे सालों में विकसित होता है. पहले आपकी रोशनी धुंधली होती है और फिर उसके बाद इसके अन्य लक्षण नजर आते हैं. इस कारण लंबे समय तक काफी सारे लोगों को पता नहीं चलता कि उन्हें ग्लूकोमा है. अगर कोई नियमित आंखों की जांच कराता है तो उसे इस बात का पता चलता है.
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