हमारे शहर के लोगों का अब अहवाल इतना है
कभी अख़बार पढ़ लेना कभी अखबार हो जाना।
आइये आज आपको भोपाल के उस बुजुर्ग सहाफी (पत्रकार) से मिलवाएं जिसने आज़ादी के आठ नो बरस बाद अपनी सहाफत का सफर शुरु किया। आज भी इन्होंने अपनी सहाफत के कमिटमेंट को जारी रखा हुआ है। ये हैं 92 बरस के ऐसे बुज़ुर्ग पत्रकार जिनके लिए उम्र एक आंकड़ा भर है। इनका इस्म-ए-गिरामी है ठाकुर विक्रम सिंह। माशा अल्लाह उम्र के इस पढ़ाव पे भी सेहत के एतबार से एकदम टनाटन रखे हुए हैं। मियां खां में अभी भी बुंदेली ठकरास का कररोफर नजऱ आता है। शिवाजी नगर के सरकारी मकान में आप अपने पत्रकार फऱज़न्द धर्मेंद्र सिंह ठाकुर के साथ मय अहलोअयाल के रहते हैं। खास बात ये है कि इनकी सहाफत आज भी जारी है। भोपाल के इस ज़ईफ़ इंसान ने अपनी सहाफत की इब्तिदा सरकारी मास्टर की नोकरी छोड़के करी थी। उस वक्त के सीएम पंडित रविशंकर शुक्ल ने किसी जलसे में इनकी लिखी इबारत की तारीफ करते हुए इन्हें जर्नलिस्ट बनने का मशवरा दिया था। इत्तफाक देखिए कि 1 नवंबर 1956 को इधर मध्यप्रदेश बना उधर इनकी सहाफत परवान चढ़ी। ठाकुर विक्रम सिंह दमोह से भोपाल आये और नवभारत में मुलाज़मत शुरु कर दी। इस वक्त मायाराम सुरजन नवभारत के एडिटर थे। उन्ने पेले दिन ही इनसे संपादकीय लिखवाया, जो शाया भी हुआ। उस वक्त नवभारत इब्राहीमपुरे में लाला मुल्कराज के मकान से निकलता था। हेंड कंपोजि़ंग होती और ट्रेडिल मशीन पे अखबार छपता। उस दौर में भाई रतनकुमार, सत्यनारायण श्रीवास्तव, त्रिभुवन यादव के अलावा बाद के सालों में ध्यानसिंह तोमर राजा और मदनमोहन जोशी ने भी नवभारत ज्वाइन कर लिया था। इस दरम्यान मायाराम सुरजन साब ने देशबंधु शुरु करने के लिए ये अख़बार छोड़ा तो भाई रतनकुमार नवभारत के एडिटर बनाये गए। भाई जी ने भी भोपाल म्युनिसिपल कारपोरेशन के मेयर का चुनाव लडऩे के लिए एडिटर का ओहदा छोड़ा तब त्रिभुवन यादव को ये जि़म्मेदारी मिली। 1959 या 60 में नवभारत का दफ्तर जहांगीराबाद आ गया। ठाकुर विक्रम सिंह ने यहां साइकिल से रिपोर्टिंग करी। ये जुमेराती के सपने किराये के कमरे से जहाँगीरबाद तक सायकिल से ही आते। इन्ने पोलिटिकल बीट भी भन्नाट तरीक़े से संभाली। तब के सीएम डीपी मिश्रा, गोविंदनारायन सिंह, प्रकाशचंद्र सेठी, श्यामाचरण शुक्ल, अर्जुन सिंह से लेके मोतीलाल वोरा तक से इनके अच्छे राब्ते रहे। उस दौर के सियासी किस्से इन्हें खूब याद हैं। नवभारत में ठाकुर साब ने 35 बरस काम किया और अपनी अलग पहचान बनाई। प्रथक बुंदेलखंड के अलम्बरदार ठाकुर विक्रम सिंह ने बुंदेलखंड का स्वरूप नामक किताब भी लिखी। ये आज भी अपनी वेबसाइट एमपी बुंदेली डॉट कॉम पर सक्रिय रहते हैं। अपनी अपनी ईमानदारी और कमिटमेंट के लिए ये बुज़ुर्ग पत्रकार आज के नोजवान पत्रकारों के लिए किसी मिसाल से कम नहीं हैं जिसने अपनी मेहनत और लेखनी से सहाफत में इतना ऊंचा मुक़ाम बनाया।
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