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    किराएदार नहीं कर सकेगा मकान पर कब्जा

  • July 25, 2022

    • मप्र सरकार विधानसभा में प्रस्तुत करेगी किराएदारी अधिनियम विधेयक
    • नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुरूप तैयार किया प्रारूप

    भोपाल। प्रदेश में मकान मालिक और किराएदार के बीच होने वाले विवाद को समाप्त करने के लिए शिवराज सरकार विधानसभा के मानसून सत्र में मध्य प्रदेश किराएदारी अधिनियम प्रस्तुत करेगी। इसके लागू होने पर मकान मालिक बिना अनुबंध के किराएदार नहीं रख पाएंगे। अनुबंध की जानकारी किराया प्राधिकारी को दो माह के भीतर देनी होगी। कोई भी किराएदार मकान पर कब्जा नहीं कर सकेगा। निर्धारित अवधि के बाद उसे मकान खाली करना होगा। यदि वह ऐसा नहीं करता है तो शिकायत होने पर सुनवाई करके बेदखली की कार्रवाई की जाएगी। वहीं, मकान मालिक भी किराएदार को अनावश्यक रूप से तंग नहीं कर सकेगा। आवश्यक सेवाओं को बाधित करने पर मालिक के विरुद्ध कार्रवाई होगी।


    प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में बड़ी संख्या में मकान किराए पर दिए जाते हैं। मकान मालिक और किराएदार के बीच विवाद के मामले न्यायालय और पुलिस के पास पहुंचते हैं। केंद्र सरकार ने भूस्वामी और किराएदार के अधिकारों के संरक्षण के लिए सभी राज्यों को कानूनी प्रविधान करने के लिए दिशानिर्देश दिए थे। इसके अनुरूप नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने नया मध्य प्रदेश किराएदारी अधिनियम का प्रारूप तैयार किया है। इसके अनुसार मकान मालिक और किराएदार को लिखित अनुबंध करते हुए इसकी जानकारी दो माह के अंदर किराया प्राधिकारी को देनी होगी। अनुबंध के अनुसार किराया बढ़ाया जाएगा और यदि किराएदार देने से इन्कार करता है तो इसकी शिकायत किराया अधिकरण में की जा सकेगी। भूस्वामी मकान के लिए दो माह और गैर आवसीय भूखंड के लिए छह माह का अग्रिम ले सकेगा। अनुबंध समाप्ति के समय या तो समायोजित किया जाएगा या फिर इसे वापस किया जाएगा। निर्धारित अवधि के बाद किराएदार को मकान या भूखंड खाली करना होगा। युद्ध, बाढ़, सूखा, तूफान, भूकंप या कोई अन्य प्राकृतिक आपदा की स्थिति है तो अवधि समाप्त होने पर भी किराएदार से मकान खाली नहीं कराया जाएगा पर उसे अनुबंध के अनुसार किराया देना होगा। किराएदार की मृत्यु होने पर उसके उत्तराधिकारी को रहने का अधिकार होगा पर उसे भी अनुबंध का पालन करना होगा।

    नहीं बना सकते उप किराएदार
    किराएदार बिना भूस्वामी की सहमति के किसी और को किराएदार नहीं रख सकेगा। यदि दोनों के बीच सहमति बनती है तो उप किराएदार रखा जा सकता है और इसकी सूचना भी किराया प्राधिकारी को देनी होगी। किराएदार अनुबंध समाप्त होने के बाद भी मकान खाली नहीं करता है तो प्रथम दो माह तक दोगुना और इसके बाद चार गुना मासिक किराया देना होगा।

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