नई दिल्ली। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह रविवार को करगिल विजय दिवस से पहले जम्मू पहुंचे थे। इस मौके पर उन्होंने उन जवानों की शहादत को याद किया जिन्होंने 1999 के युद्ध में अपनी जान दे दी थी। शहीदों के परिवारों को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा, मैं उन सभी जवानों को याद करता हूं जिन्होंने देश की सेवा में अपनी जान कुर्बान कर दी। हमारी सेना के जवानों ने जब भी जरूरत पड़ी है अपना सर्वोच्च बलिदान दिया है। मैं उन सभी जवानों को नमन करता हूं जिन्होंने 1999 के युद्ध में अपना बलिदान दिया।
पं. जवाहरलाल नेहरू को लेकर क्या कहा?
इस कार्यक्रम में बोलते हुए रक्षा मंत्री ने देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का जिक्र किया। 1962 के युद्ध की बात करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा, ‘1962 में चीन ने लद्दाख में हमारी जमीन पर कब्जा कर लिया। उस वक्त पंडित जवाहरलाल नेहरू प्रधानमंत्री थे। उनकी नीयत पर सवाल नहीं उठाया जा सकता। किसी प्रधानमंत्री की नीयत में खोट नहीं हो सकता लेकिन यह बात नीतियों पर नहीं लागू होती है। हालांकि अब भारत दुनिया के ताकतवर देशों में है। ‘
पीओके को लेकर भी बोले रक्षा मंत्री
रक्षा मंत्री ने कहा कि रक्षा क्षेत्र में आज भारत आत्मनिर्भर हो रहा है। भारत जब बोलता है तो दुनिया सुनती है। उन्होंने कहा, 1962 में हम लोगों को जो नुकसान हुआ उससे हम परिचित हैं। उस नुकसान की भरपाई आज तक नहीं हो पाई है। हालांकि अब देश मजबूत है। उन्होंने पीओके को लेकर भी कहा कि भारत की संसद में इसको लेकर प्रस्ताव पारित हुआ था। यह क्षेत्र भारत का था और भारत का ही रहेगा। ऐसा नहीं हो सकता कि बाबा अमरनाथ हमारे यहां हों और मां शारदा सीमा के उस पार हों।
बता दें कि रक्षा मंत्री शारदा पीठ की बात कर रहे थे जो कि देवी सरस्वती का मंदिर है। यह पीओके में मुजफ्फराबाद से 150 किलोमीटर की दूरी पर नीलम घाटी में स्थित है। कश्मीरी पंडितों के लिए इस स्थान का बहुत महत्व है। कश्मीरी पंडितों की मांग है कि करतारपुर की तरह यहां भी कॉरिडोर बनाया जाए जिससे शारदा पीठ के दर्शन हो सकें।
बता दें कि भारतीय सेना इस बार 23वां करगिल विजय दिवस मना रही है। 26 जुलाई को यह दिन मनाया जाता है और शहीदों को याद किया जाता है। करगिल वॉर मेमोरियल पर तीन दिनों के कार्यक्रम की तैयारी चल रही है। देशभर में इस मौके पर कई कार्यक्रम आयोति किए जाएंगे जिनमें कई हस्तियां हिस्सा लेंगी।
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