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    सूरमा के बतोले

  • July 22, 2022

    जि़ंदगी किस क़दर मुक्तसर है कि अच्छा खासा हाड़मांस का इंसान अगले ही लम्हे में दुनिया से ओझल हो जाता है। जीवन की इस कैफियत को साकिब लखनवी ने कुछ यूं बयां किया है…
    ज़माना बड़े शौक से सुन रहा था
    हमी सो गए दास्तां कहते कहते
    उफ… जि़ंदगी और मौत की ये खतरनाक रेस हमसे और कितने अपनो को छीनेगी। गुजिश्ता पखवाड़े में तीन पत्रकारों की मौत के ग़म को भोपाल के पत्रकार भुला भी नहीं पाए थे कि कल सीनियर फोटो जर्नलिस्ट एरोल विलियम्स के इंतकाल की खबर ने सबको फिर दुखी कर दिया। आठ जुलाई को पत्रकार रमेश तिवारी, 17 जुलाई को पत्रकार गौतम तिवारी और 20 जुलाई को बुज़ुर्ग सहाफी गोविंद तोमर हमसे हमेशा हमेशा के लिए बिछड़ गए थे। वहीं मीडिया सहित समाज के हर तबके में बेहद मक़बूल राजेश वर्मा सोनी के निधन की खबर भी किसी के गले नहीं उतर रही। फोटो जर्नलिस्ट एरोल विलियम्स 62 बरस के थे। 4 रोज़ पहले उन्हें ब्रेन स्ट्रोक होने पर उन्हें बंसल में दाखि़ल कराया गया था। तमाम कोशिशों के बावकूद उन्हें बचाया नहीं जा सका। वे कई बीमारियों से जूझ रहे थे। करीब 32 बरस पहले एरोल ने नवभारत और एमपी क्रोनिकल के लिए प्रेस फोटोग्राफी शुरू की थी। वे ऑफबीट विजऩ वाले फोटो जर्नलिस्ट थे। एरोल कैम्पियन स्कूल में पढ़े थे, सो उनका अंग्रेज़ी पर अच्छा कमांड था। अपने भारी जिस्म और कुछ हेल्थ इश्यूज के बावजूद वो सिर्फ अपने काम पे फोकस करते। जिससे उनकी पटरी बैठती उसकी बहुत क़दर करते। एक ईमानदार फोटो जर्नलिस्ट के तौर पर एरोल विलियम्स ने अपना अच्छा दायरा बना लिया था। उन्हें फोटोग्राफी विरासत में मिली थी। उनके पिता विलियम साब जनसंपर्क महकमे में मूवी केमरा चलाते थे। एरोल का बेटा रोहन रूरल इंजीनियरिंग में सब इंजीनियर है। अपनी खराब तबियत के चलते कोई पांच छह सालों से एरोल ने प्रेस फोटोग्राफी छोड़ दी थी। वे अपने पीछे पत्नी मधु, बेटे रोहन और बेटी रोशनी को रोता बिलखता छोड़ गए हैं। आज दोपहर भदभदा ईसाई कब्रिस्तान में उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया।



    उधर दूसरी तरफ भोपाल का जाना पहचाना चेहरा राजेश वर्मा सोनी अचानक ही दुनिया के पर्दे से ओझल हो गया। उनकी मौत उनके तमाम चाहने वालों को गहरा सदमा दे गई। राजेश भाई मध्य प्रदेश स्वर्णकार समाज कल्याण समिति के चेयरमेन थे। महज 65 बरस की उमर में उनके अचानक बिछड़ जाने की खबर पे लोगों को भरोसा नहीं हो रहा है। राजेश भाई कदीमी भोपाली थे और पीर गेट के पास मालीपुरा में उनकी रिहाइश थी। करीब आठ बरस पहले उनके दिल की बायपास सर्जरी हुई थी। तीन चार साल पहले एक आर्टरी में स्टेंट डाला गया था। कोई एक पखवाड़े पहले उनको दिल संबंधी दिक्कत हुई तो घर के लोग उन्हें दिल्ली ले गए। वहां उनकी ओपन हार्ट सर्जरी की गई थी। लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका। राजेश भाई की खासियत थी के वो अपना दर्द या परेशानी किसी को नहीं बताते थे। दिल की तश्वीसनाक बीमारी के बावजूद कभी उनके चेहरे पे शिकन नही आती थी। हमेशा लोगों के सुख दुख में शरीक होने वाले वे ऐसे यारबाज़ इंसान थे जिसके चेहरे पे हमेशा मुस्कान खिली रहती। उनके अज़ीज़ दोस्त अजय श्रीवास्तव नीलू उन्हें याद करते हुए जज़्बाती हो जाते हैं। राजेश वर्मा सोनी पुराने शहर के पीर गेट, इमामी गेट, चोक, जुमेराती, मानस भवन, हिंदी भवन से लेके गुफ़ा मंदिर पे होने वाले हर कार्यक्रम का ज़रूरी चेहरा थे। वे अपने पीछे पत्नी, दो बेटियां और एक बेटे को बिलखता हुआ छोड़ गए। ज़रूरतमंद लोगों की मदद के लिए सदा आगे रहने वाले राजेश भाई हमेशा यादों में रहेंगे। सबको छोड़ अचानक ही मुल्के अदम को चले गए एरोल विलियम्स और राजेश वर्मा सोनी को अग्निबाण परिवार की जानिब से खिराजे अक़ीदत।

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