नई दिल्ली। बुधवार को डॉलर के मुकाबले 80 रुपये (Rs 80 level against dollar) के स्तर से नीचे बंद होने के बाद आज एक बार फिर भारतीय मुद्रा 80 रुपये के स्तर (Indian currency level of Rs 80) से गिरकर कारोबार करती नजर आई। रुपये ने आज एक बार फिर डॉलर के मुकाबले 80.06 के स्तर पर गिरकर सबसे निचले स्तर तक पहुंचने का रिकॉर्ड बनाया। हालांकि कारोबार शुरू होने के बाद आज दिनभर रुपये की स्थिति में उतार चढ़ाव बना रहा। बाजार में डॉलर का प्रवाह बढ़ने पर भारतीय मुद्रा मजबूत होकर 79.77 के स्तर (Indian currency strengthens to the level of 79.77) तक भी पहुंची, लेकिन बाद में डॉलर की मांग में तेजी आने के कारण एक बार फिर रुपया लुढ़क कर नीचे आ गया।
वैश्विक मोर्चे पर बने दबाव और डॉलर इंडेक्स में आई तेजी के कारण इंटर बैंक फॉरेन एक्सचेंज मार्केट में रुपये ने आज एक बार फिर गिरावट का रिकॉर्ड बनाया, लेकिन स्टॉक मार्केट में विदेशी निवेशकों द्वारा लगातार तीसरे दिन नेट बायर (खरीदार) की भूमिका निभाने के कारण मुद्रा बाजार में डॉलर का प्रवाह बढ़ गया, जिससे डॉलर की मांग में कमी भी आई। इसका फायदा रुपये की कीमत में सुधार होने के रूप में नजर आया।
मुद्रा बाजार डॉलर का प्रवाह बढ़ने और मांग में कमी आने की वजह से जो डॉलर शुरुआती कारोबार में 80.06 रुपये के स्तर पर कारोबार कर रहा था, वो चढ़कर 79.77 रुपये के स्तर पर आ गया। हालांकि रुपये की ये मजबूती अधिक देर तक कायम नहीं रह सकी और थोड़ी ही देर में रुपया एक बार फिर डॉलर के मुकाबले लुढ़कते हुए नीचे जाने लगा। डॉलर की मांग में एक बार फिर तेजी आने के कारण रुपया थोड़ा कमजोर हुआ और भारतीय मुद्रा बाजार में प्रति डॉलर 79.89 रुपये (अस्थाई) के स्तर पर बंद हुआ।
मार्केट एक्सपर्ट मयंक मोहन का मानना है कि मौजूदा वैश्विक परिस्थितियों में रुपये की कीमत पर लगातार दबाव बना रहने वाला है। बीच-बीच में रुपये की कीमत में मामूली सुधार भी आ सकता है, लेकिन लंबे दौर में इसमें अधिक सुधार होने की उम्मीद नहीं की जानी चाहिए। इस साल अभी तक डॉलर की तुलना में रुपये की कीमत में 7 प्रतिशत से अधिक की कमजोरी आ चुकी है। वहीं दिसंबर 2014 से तुलना की जाए तो भारतीय मुद्रा रुपये में डॉलर की तुलना में 25 प्रतिशत से अधिक की कमजोरी आ गई है।
मयंक मोहन के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के बढ़ते भाव, रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग के कारण आवश्यक चीजों की सप्लाई में हुई कमी और अमेरिका तथा पश्चिमी देशों द्वारा रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए जाने के कारण बनी जटिलताओं की वजह से पूरी दुनिया में ज्यादातर देशों की मुद्राओं की कीमत में डॉलर के मुकाबले कमी दर्ज की गई है। दूसरी ओर डॉलर इंडेक्स में लगातार तेजी आ रही है और ये पिछले 21 सालों के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच चुका है। ऐसा होने की वजह से दुनिया के अन्य देशों की मुद्राओं की तरह ही भारतीय मुद्रा रुपये की कीमत में भी डॉलर की तुलना में कमी आई है।
मार्केट एक्सपर्ट्स का दावा ये भी है कि अगर वैश्विक परिस्थितियों में सुधार होता है, खासकर रूस और यूक्रेन के बीच जंग की समाप्ति होती है तथा अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल वापस 60 से 70 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर आ जाता है, तो भारतीय मुद्रा में तेजी से सुधार होने की स्थिति बन सकती है। क्योंकि भारतीय अर्थव्यवस्था के फंडामेंटल्स इतने मजबूत हैं कि वे रुपये को अधिक समय के लिए ज्यादा कमजोर नहीं होने देंगे। (एजेंसी, हि.स.)
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