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    खाना बनाने वाले गैस चूल्हे से कैंसर का खतरा, नई स्टडी में बड़ा खुलासा

  • July 21, 2022

    नई दिल्ली: देश में हम प्रदूषण (pollution) की कई बार बात करते हैं और इसे लेकर चिंता भी जाहिर करते हैं. लेकिन यह प्रदूषण बाहरी प्रदूषण होता है जो आसमान में मौजूद प्रदूषित कणों (Contaminated particles present) से होता है और इसका लेवल AQI के पैमाने पर मापा जाता है लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि आपके घर मे बने किचन में खाना बनाने वाले गैस चूल्हे से कितना प्रदूषण निकल रहा है. प्रदूषण भी ऐसा जिसमें Benzene, टोल्यूनि, एथिलबेनजीन, जाइलीन और हेक्सेन जैसी जहरीली और कैंसर को दावत देने वाली गैस निकल रही है. नई स्टडी में इसे लेकर खुलासा हुआ है और आपको विस्तार से इसकी जानकारी देते हैं.

    हर आम व्यक्ति जीने और खुद को फिट रखने के लिए खाना जरूर खाता है. घर का खाना पौष्टिक भी होता है और स्वादिष्ट भी. लेकिन अमेरिका की हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों की ओर से की गई स्टडी में सामने आया है कि आप किचन में जिस गैस चूल्हे का इस्तेमाल करते है उससे Benzene, टोल्यूनि, एथिलबेनजीन, जाइलीन और हेक्सेन जैसी जहरीली और कैंसर को दावत देने वाली Carcenogenic गैस निकल रही है. 28 जून को अंतरराष्ट्रीय जर्नल Environmental Science And Technology में छपी रिसर्च में अमेरिका के वैज्ञानिकों ने बताया कि उन्होंने अमेरिका के बॉस्टन प्रान्त के 69 घरों से खाना बनाने में उपयोग की जाने वाली 239 नेचुरल गैस के सैंपल लिए गए थे. इन नमूनों की जांच करने वाली वैज्ञानिकों की टीम ने नेचुरल गैस में 21 जहरीली गैस पाई थीं. इसमें Benzene, टोल्यूनि, एथिलबेनजीन, जाइलीन और हेक्सेन प्रमुख थी. यानी आपकी रोटी जिस गैस चूल्हे पर बन रही है उसमें वैज्ञानिकों को जहर की मिलावट मिली है.


    दिल्ली स्थित उजाला-सिग्नस अस्पताल के निदेशक डॉ सुचिन बजाज के मुताबिक सिर्फ एलपीजी गैस ही नहीं, अगर हम पेट्रोल, डीजल या लकड़ी कुछ भी जलाते हैं तो उससे कोई ना कोई गैस केमिकल रिएक्शन की वजह से निकलती है. इसी कड़ी में एलपीजी गैस के जलने से बेंजीन गैस निकलती है जो कि एक Carcenogen है जिससे कैंसर होने की संभावना है. हालांकि डॉ बजाज के मुताबिक जहां विदेशो में किचन में नेचुरल गैस का प्रयोग होता है लेकिन भारत मे एलपीजी गैस इस्तेमाल होती है जिसमें प्रोपेन नाम की गैस का प्रयोग होता है. इस गैस के जलने से खतरनाक बेंजीन गैस निलती तो है लेकिन उसकी मात्रा विदेशो में नेचुरल गैस से निकलने वाली बेंजीन के मुकाबले काफी कम रहती है.

    पारस अस्पताल के स्वांस रोग विशेषज्ञ डॉ अरुणेश कुमार के मुताबिक Carcenogenic गैस अगर नाक या मुंह के जरिए शरीर मे प्रवेश करती है तो वो फेफड़ों पर बुरा प्रभाव डालती हैं और इससे कैंसर के अलावा भी अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और सांस फूलने की बीमारी हो सकती है. आंतरिक रोग विशेषज्ञ डॉ राजेश गेरा की माने तो किचन में खाना बनाते समय सबसे ज्यादा जरूरी है कि किचन में वेंटिलेशन की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए, खाना बनाते समय खिड़की-दरवाजे खुले रखें जिससे किचन में धुंआ भरने की जगह बाहर निकल पाए और हो सके तो चिमनी या फिर एग्जॉस्ट फैन का किचन में प्रयोग करें ताकि किचन में होने वाला प्रदूषण जल्दी से बाहर जा सके.

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