इंदौर। आने वाले 15 से 20 दिनों में देहरादून प्राणी संग्रहालय (Dehradun Zoological Museum) से दुनिया का सबसे खतरनाक किंग कोबरा (King Cobra) लाए जाने की तैयारी है। यह आमतौर पर दक्षिण एशियाई (South Asian) देशों में पाया जाता है और एक बार काटने पर हाथी तक की जान ले सकता है। हमला करने के लिए पांच फीट ऊपर तक फन फैलाकर खड़ा हो जाता है।
इंदौर प्राणी संग्रहालय में नए सिरे से सांपघर बनाए जाने का काम कुछ महीनों पहले शुरू किया गया था, जो अब पूरा हो चुका है। वहां अब अन्य शहरों के प्राणी संग्रहालयों से लाए जाने वाले दुर्लभ सांपों को रखे जाने की तैयारी चल रही है। इसके लिए कुछ दिनों पहले प्राणी संग्रहालय के अधिकारियों ने देहरादून जू को कई घडिय़ाल भेजे थे और बदले में दुर्लभ और दुनिया का सबसे खतरनाक किंग कोबरा मांगा था। वहां करीब चार से पांच किंग कोबरा हैं। अब निगम की टीम 15 से 20 दिनों में किंग कोबरा को लेने तमाम सुरक्षा के साथ देहरादून जाएगी। देश के कई शहरों के प्राणी संग्रहालयों में भी किंग कोबरा नहीं है। इसके लिए कई दिनों तक जू के अधिकारियों की देहारदून जू के अफसरों से चर्चा चलती रही, तब जाकर इस पर सहमति बनी। सेंट्रल जू अथॉरिटी ने भी इसके लिए मंजूरी दे दी है।
बेहद गुस्सैल, छेडऩे पर पीछा नहीं छोड़ता
प्रभारी अधिकारी डॉ. उत्तम यादव के मुताबिक किंग कोबरा आमतौर पर दक्षिणी एशियाई देशों में पाया जाता है और दुनिया का सर्वाधिक जहरीला सांप होता है, जिसके काटने से कुछ ही देर में व्यक्ति की मौत हो जाती है। आमतौर पर कई अन्य सांप हमला होने या छेड़े जाने पर एक ओर चले जाते हैं, लेकिन किंग कोबरा गुस्सैल होता है और छेडऩे पर तत्काल सामना करने के लिए पांच फीट तक ऊंचाई पर फन फैलाकर खड़ा हो जाता है।
देखरेख करने वाले को पहचानता भी है
किंग कोबरा की कई खूबियां हैं। गुस्सैल होने के साथ-साथ वह इतना होशियार होता है कि अपनी देखरेख करने वाले को भलीभांति पहचानता है। यादव के मुताबिक वह जंगलों में अन्य सांपों का शिकार कर पेट भरता है। पहले दौर में एक किंग कोबरा देहरादून से लाया जाना है। उसके बाद और दो किंग कोबरा की सहमति भी बन चुकी है। इसके लिए जू में तैयारियां की जा रही हैं।
धार में मिले शावकों को जू में लाएंगे
कल धार के ग्रामीण क्षेत्र में तेंदुए के दो शावक वन विभाग की टीम ने कुछ लोगों की सूचना पर पकड़े हैं। शावक चार-पांच दिन के हैं और उनमें से एक की हालत खराब है। इसी के चलते वन विभाग की टीम आज शावकों को लेकर जू पहुंचेगी। पूर्व में भी कई शावकों का जू में उपचार कर उन्हें जंगलों में छोड़ा गया था।
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