नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक ( RBI) ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था विपरीत वैश्विक परिस्थितियों के बाद भी भारतीय अर्थव्यवस्था लचीली बनी हुई है. केंद्रीय बैंक के बुलेटिन जारी कर भरोसा जताया है कि वैश्विक मंदी की आशंका के बीच हम दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती इकोनॉमी बनने की राह पर हैं.
मंदी के डर के बीच जागी उम्मीद
केंद्रीय बैंक ने कहा कि भू-राजनीतिक हालातों का असर कई क्षेत्रों पर दिखाई दे रहा है, जो सुधार की राह में एक रोड़ा है. इस बीच दक्षिण-पश्चिम मानसून (Mansoon) की वापसी से उम्मीद जागी है कि ग्रामीण मांग जल्द ही शहरी खर्च को पकड़ेगी. यह सुधार को मजबूत करने वाली होगी. RBI ने कहा कि जो संकेत दिखाई दे रहे हैं उनके आधार पर वैश्विक मंदी (Recession) के डर के बीच भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था (Economy) बनने की राह पर है.
समय-सीमा का नहीं किया जिक्र
बिजनेस टुडे पर छपी रायटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, RBI ने हालांकि इसके लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं की है. बुलेटिन में बैंक ने कहा कि अगर आने वाले हफ्तों में आपूर्ति श्रृंखला (Supply Chain) के दबाव में कमी के साथ कमोडिटी की कीमतों (Comodity Price) में गिरावट आती है, तो उच्च महंगाई का बुरा दौर खत्म हो सकता है. गौरतलब है कि देश में खुदरा महंगाई (CPI) लगातार छठे महीने 7 फीसदी से ऊपर बनी हुई है और यह केंद्रीय बैंक के तय मानकों से अधिक है.
कच्चे तेल का CAD पर प्रभाव
आरबीआई ने भारत के चालू खाता घाटे (CAD) पर अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल (Crude Oil) की कीमतों के प्रभाव का भी जिक्र किया. रिजर्व बैंक ने कहा कि अगर कच्चा तेल औसतन 105 डॉलर प्रति बैरल पर है, तो 2022-23 में सीएडी जीडीपी के 2.3 फीसदी तक बढ़ सकता है. वहीं अगर तेल की कीमतें 120 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच जाती हैं तो यह बढ़कर 2.8 फीसदी हो जाएगा.
बाहरी कर्ज में लगातार गिरावट
बुलेटिन में आगे कहा गया कि इसका मतलब है कच्चे तेल की कीमतें 120 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंच जाने के बाद भी सीएडी 3 फीसदी की स्थायी सीमा के भीतर रहेगा. जून महीने में जारी आंकड़ों से साफ पता चलता है कि 2021-22 में सीएडी सकल घरेलू सत्पाद (जीडीपी) का 1.2 फीसदी था. आरबीआई ने कहा कि बाहरी कर्ज में मार्च 2021 और मार्च 2022 के बीच गिरावट दर्ज की गई है.
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