नई दिल्ली। पड़ोसी देश श्रीलंका (Neighboring Countries Sri Lanka) के मौजूदा राजनीतिक और आर्थिक संकट (political and economic crisis) के मुद्दे पर पर चर्चा करने के लिए भारत सरकार (Indian government) ने मंगलवार को एक सर्वदलीय बैठक (all party meeting) आयोजित करने का फैसला किया है. संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी (Prahlad Joshi) ने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) और विदेश मंत्री एस. जयशंकर (External Affairs Minister S. Jaishankar) सर्वदलीय बैठक के दौरान विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं को श्रीलंका संकट के ताजा हालात के बारे में जानकारी देंगे।
एक खबर के मुताबिक संसद के मानसून सत्र से पहले बुलाई गई सभी पार्टियों की एक बैठक में तमिलनाडु की राजनीतिक पार्टी द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) और अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (AIADMK) ने मांग की कि भारत श्रीलंका के संकट में हस्तक्षेप करे. DMK और AIADMK दोनों ने श्रीलंका के संकट खासकर देश की तमिल आबादी की स्थिति का मुद्दा उठाया. श्रीलंका के उत्तरी हिस्से में तमिलों की आबादी बहुत ज्यादा है।
सर्वदलीय बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए द्रमुक नेता टी.आर. बालू और अन्नाद्रमुक नेता एम. थंबीदुरई ने अपने-अपने दलों की मांग दोहराई. जबकि एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि वित्त और विदेश मंत्रालयों द्वारा 19 जुलाई की शाम को संसद के मानसून सत्र के दूसरे दिन इस मामले पर एक ब्रीफिंग तय की गई है. इस ब्रीफिंग में विभिन्न राजनीतिक दलों के सदनों के नेता शामिल होंगे।
गौरतलब है कि भारत ने पहले ही श्रीलंका को आश्वासन दिया है कि वह अभूतपूर्व राजनीतिक संकट और आर्थिक उथल-पुथल के बीच देश में लोकतंत्र, स्थिरता और आर्थिक सुधार का समर्थन करना जारी रखेगा. भारत के उच्चायुक्त गोपाल बागले ने शनिवार को मुलाकात के दौरान श्रीलंका की संसद के अध्यक्ष महिंदा यापा अभयवर्धने को यह आश्वासन दिया. ये मुलाकात अध्यक्ष अभयवर्धने द्वारा राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के इस्तीफे को स्वीकार करने के एक दिन बाद हुई।
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