नई दिल्ली । संसद भवन (Parliament House) के परिसर में क्या अब धरना प्रदर्शन (strike) पर भी रोक रहेगी? इससे जुड़ा एक आदेश शेयर करते हुए कांग्रेस (Congress) ने मोदी सरकार (Modi government) को घेरा है. शेयर किये गए आदेश के मुताबिक, संसद भवन के परिसर में कोई सदस्य धरना, हड़ताल, भूख हड़ताल नहीं कर सकेगा. इसके साथ-साथ कोई धार्मिक कार्यक्रम भी वहां नहीं आयोजित हो सकेगा. इस फैसले पर विपक्ष भड़क गया है.
राज्यसभा सांसद और कांग्रेस के सीनियर नेता जयराम रमेश ने भी इसपर ट्वीट किया. उन्होंने आदेश की कॉपी को शेयर करते हुए लिखा, ‘विश्वगुरु का नया काम- D(h)arna मना है.
Vishguru's latest salvo — D(h)arna Mana Hai! pic.twitter.com/4tofIxXg7l
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) July 15, 2022
मॉनसून सत्र से पहले यह दूसरा विवाद है. इससे पहले लोकसभा सचिवालय की तरफ से जारी एक लिस्ट पर विवाद थमा नहीं है. इसमें कई शब्दों को असंसदीय शब्द बताकर उनपर पाबंदी लगा दी गई है, मतलब इनको लोकसभा और राज्यसभा में नहीं बोला जा सकेगा.
इसमें जुमलाजीवी, तानाशाह, शकुनि, जयचंद, विनाश पुरुष, खून से खेती आदि को असंसदीय शब्द बताकर इनकी लंबी-चौड़ी लिस्ट तैयार की गई. विपक्ष इसपर भी मुखर है. राहुल गांधी, असदुद्दीन ओवैसी के साथ-साथ आम आदमी पार्टी ने मोदी सरकार को घेरा है.
इसपर सफाई यह भी आई है कि समय-समय पर लोकसभा सचिवालय ऐसे शब्दों को असंसदीय शब्दों की सूची में शामिल करता है जिन्हें लोक सभा, राज्य सभा अथवा राज्य विधान सभाओं और विधान परिषदों द्वारा असंसदीय शब्द बता कर कार्यवाही से हटाया जाता है. इनमें कॉमनवेल्थ संसदों में घोषित किए असंसदीय शब्द भी होते हैं. इस बार जारी की गई सूची में 2021 में असंसदीय बता कर हटाए गए शब्दों को जोड़ा गया है.
बता दें कि संविधान के अनुच्छेद 105 (2) के तहत सांसदों को विशेषाधिकार मिलते हैं. सदन के अंदर वे जो भी कहते हैं उसके लिए उन पर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता. इसीलिए लोक सभा के नियम 380 के तहत लोक सभा अध्यक्ष को यह अधिकार है कि वह ऐसे शब्दों को सदन की कार्यवाही से निकाल दे जो असंसदीय, अभद्र या डेफेमेट्री हैं. नियम 381 के तहत असंसदीय कह कर हटाए गए शब्दों को तारांकित करके सदन की कार्यवाही से निकाला जा सकता है.
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved