नई दिल्ली। रिजर्व बैंक (reserve Bank) की कोशिश के बाद भी डॉलर के मुकाबले रुपये (rupee against dollar) में गिरावट जारी है। गुरुवार को एक डॉलर की कीमत (one dollar worth) बढ़कर 79.90 रुपये (increased to Rs 79.90) के अब तक के निम्नतम स्तर पर पहुंच गई। इससे केवल रिजर्व बैंक और सरकार की चुनौतियां ही नहीं बढ़ती हैं बल्कि उपभोक्ताओं की जेब भी हल्की होती है। कमजोर रुपये का असर रसोई से लेकर दवा और मोबाइल खरीदने पर भी होता है। इसके अलावा यह रोजगार के मौके पर भी कम करता है।
दवाएं, मोबाइल, टीवी के दाम बढ़ेंगे
भारत जरूरी इलेक्ट्रिक सामान और मशीनरी के साथ मोबाइल-लैपटॉप समेत कई दवाओं का भारी मात्रा में आयात करता है। अधिकतर मोबाइल और गैजेट का आयात चीन और अन्य पूर्वी एशिया के शहरों से होता और अधिकतर कारोबार डॉलर में होता है। अगर रुपये में इसी तरह गिरावट जारी रही तो देश में आयात महंगा हो जाएगा। विदेशों से आयात होने के कारण इनकी कीमतों में इजाफा तय है। मतलब मोबाइल और अन्य गैजेट्स पर महंगाई बढ़ेगी और आपको ज्यादा खर्च करना होगा।
रसोई के बजट पर असर
भारत 80 फीसदी कच्चा तेल आयात करता है। कच्चा तेल महंगा होने से पेट्रोल-डीजल की कीमत बढ़ेगी। इससे माल ढुलाई महंगी हो जाती है। ऐसे में रुपये के कमजोर होने से रसोई से लेकर घर में उपयोग होने वाले रोजमर्रा के सामान के दाम बढ़ सकते हैं जिससे आपकी जेब हल्की होगी। साथ ही पेट्रोल-डीजल महंगा होने से किराया भी बढ़ सकता है जिससे कहीं आना-जाना महंगा हो सकता है।
खाद्य तेल महंगा होने की आशंका
भारत खाद्य तेल का 60 फीसदी आयात करता है। इसकी खरीद डॉलर में होती है। ऐसे में यदि रुपया कमजोर होता है तो खाद्य तेलों के दाम घरेलू बाजार में बढ़ सकते हैं। हाल के दिनों में सरकार ने खाद्य तेलों को सस्ता करने के लिए इसपर आयात शुल्क खत्म कर दिया है।
इससे रोजगार के अवसर घटेंगे
भारतीय कंपनियां विदेश से सस्ती दरों पर भारी मात्रा में कर्ज जुटाती हैं। रुपया कमजोर होता है तो भारतीय कंपनियों के लिए विदेश से कर्ज जुटाना महंगा हो जाता है। इससे उनकी लागत बढ़ जाती है जिससे वह कारोबार के विस्तार की योजनाओं को टाल देती हैं। इससे देश में रोजगार के अवसर घट जाते हैं।
विदेश यात्रा, शिक्षा महंगी हो जाएगी
विदेश में पढ़ाई कर रहे भारतीय छात्रों को रहने खाने से लेकर फीस तक सब डॉलर में चुकानी होती है। ऐसे में रुपये के कमजोर होने से उन छात्रों को पहले के मुकाबले ज्यादा पैसा खर्च करना होगा। उनके परिहन की लागत भी बढ़ जाएगी। इसके अलावा विदेश यात्रा भी महंगा हो जाएगा।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
आईआईएफएल के उपाध्यक्ष अनुज गुप्ता ने बताया कि रुपया आने वाले दिनों में 80.50 के स्तर पर पहुंच सकता है, लेकिन रुपये में गिरावट को थामने के लिए आरबीआई लगातार प्रयास कर रहा है जिससे यह जल्द वापसी करेगा। गुप्ता ने कहा कि डॉलर-रुपये की दिशा मांग-आपूर्ति से तय होती है और फिलहाल डॉलर की मांग काफी अधिक है। इसके अलावा वैश्विक मंदी की आशंका और विदेशी निवेशकों की लगातार निकासी से भी रुपया कमजोर हुआ है।
रुपये के कमजोर होने की पांच वजह
– वैश्विक बाजार में डॉलर की मांग में तेजी
– भारतीय बाजार से विदेशी निवेशकों की लगातार निकासी
– वैश्विक मंदी की आशंका से घबराहट
– रूस-यूक्रेन संकट से आर्थिक अनिश्चितता का माहौल
– यूरोप समेत दुनिया के कई देशों में राजनीतिक उथल-पुथल
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