इंदौर। योजनाओं में शामिल और अनुमतियां प्राप्त जमीनों को छुड़वाने के प्रयास किए जा रहे हैं। प्राधिकरण ने जो टीपीएस के तहत 4 योजनाओं को अभी शासन मंजूरी के बाद अमल में लाने का निर्णय लिया, उसमें पहले 31 जमीन मालिकों को स्टे हासिल हुआ था, जिस पर कल प्राधिकरण की ओर से जवाब प्रस्तुत कर दिया गया। मगर पता चला कि 20 अन्य जमीन मालिकों ने भी इसी आशय की याचिकाएं प्रस्तुत कर दी हैं। हालांकि इन याचिकाओं के संबंध में फिलहाल संभागायुक्त भोपाल द्वारा कोई आदेश पारित नहीं किया गया है।
लैंड पुलिंग एक्ट के तहत प्राधिकरण द्वारा नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम की संशोधित धारा 50 (8) के तहत आदेश पारित कर धारा 50 (11) के तहत नगर विकास योजनाएं यानी टीपीएस घोषित की हैं। शासन ने ग्राम खजराना की टीपीएस-1, ग्राम लसूडिय़ा मोरी की टीपीएस-3, ग्राम कनाडिय़ा की टीपीएस-5 के अलावा ग्राम कुमेर्डी, भांग्या, लसूडिय़ामोरी, तलावलीचांदा और अरण्ड्या की टीपीएस-8 को मंजूरी दी। वहीं हाईकोर्ट आदेश पर टीपीएस-4 पर अभी स्टे चल रहा है। इधर इन चार टीपीएस योजनाओं के खिलाफ पहले धारा 51 के तहत पुनरीक्षण आवेदन संभागायुक्त भोपाल के समक्ष 31 जमीन मालिकों ने प्रस्तुत किए, जिन पर प्रारंभिक स्टे दिया गया। उस पर कल प्राधिकरण की ओर से जवाब प्रस्तुत किया गया। प्राधिकरण सीईओ, भू-अर्जन अधिकारी और अभिभाषक भोपाल संभागायुक्त के समक्ष पहुंचे और प्राधिकरण का पक्ष रखा।
वहीं 20 से अधिक अन्य जमीन मालिकों ने भी इसी तरह याचिकाएं दायर कर दी और नक्शे मंजूरी या अन्य तथ्यों के साथ योजनाओं से अपनी जमीनें मुक्त करवाने की मांग की है। प्राधिकरण का कहना है कि लैंड पुलिंग एक्ट के तहत ये जमीन योजनाओं में शामिल की गई है। इनमें से 50 फीसदी जमीन वापस उनके मालिकों को लौटा दी जाएगी। प्राधिकरण ने लगभग 600 आपत्तियों की सुनवाई भी इन योजनाओं को लागू करते वक्त की थी, लेकिन जमीन मालिकों के आवेदनों को निरस्त कर दिया था, जिसके चलते अब ये जमीन मालिक हाईकोर्ट से लेकर अपीलीय अधिकारी के समक्ष अपना पक्ष रख रहे हैं। शासन के पास प्राधिकरण ने पांच योजनाएं मंजूरी के लिए भेजी थी, जिनमें से चार योजनाओं को मंजूरी दी गई। इन पांचों योजनाओं में 1732 एकड़ निजी जमीनें शामिल हैं। पहले सुनवाई की तिथि 6 जुलाई तय की गई थी।
मगर निगम और पंचायत चुनाव के चलते इसे आगे बढ़ाया गया और कल प्राधिकरण का पक्ष सुना गया। हालांकि इस संबंध में संभागायुक्त भोपाल द्वारा अभी कोई आदेश पारित नहीं किया गया है। दूसरी तरफ योजनाओं के प्रारुप प्रकाशन के बाद दावे-आपत्तियों के निराकरण के लिए अवश्य चार अधिकारियों की कमेटी बनाई गई, जिसमें अपर कलेक्टर डॉ. अभय बेड़ेकर, निगम के तत्कालीन मुख्य नगर नियोजक, जिला पंचायत की अतिरिक्त मुख्य कार्यपालन अधिकारी और नगर तथा ग्राम निवेश के सहायक संचालक शामिल किए गए। अधिनियम की धारा 50 (9) के तहत इस समिति का गठन किया गया। वहीं नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम 1973 की धारा 51 के तहत पुनरीक्षण आवेदन संभागायुक्त भोपाल के समक्ष प्रस्तुत किए जा सकते हैं।
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