इंदौर। प्राधिकरण ने कुछ विकास कार्यों के टेंडर आचार संहिता लगने से पहले बुला लिए थे, जिनमें तीन ओवरब्रिजों के टेंडर भी शामिल रहे। वहीं शासन द्वारा मंजूर की गई पांच टीपीएस योजनाओं में भी विकास कार्य शुरू किए जा रहे हैं और लगभग 500 करोड़ रुपए से अधिक के टेंडर बुलवाए जाएंगे। इन योजनाओं में 1732 एकड़ जमीनें शामिल हैं, जिनमें से आधी जमीन उसके मालिकों को वापस लौटा दी जाएगी। सडक़, बिजली, ड्रैनेज सहित अन्य सुविधाएं इन योजनाओं में प्राधिकरण विकसित करेगा। नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम की धारा 50 (2) के तहत शासन मंजूरी के बाद प्राधिकरण ने इन जमीनों को लेकर होने वाले विकास कार्यों की तैयारी भी शुरू कर दी है। जो सरकारी जमीनें शामिल हैं वह प्राधिकरण को प्रशासन से मिल जाएगी।
नए लैंड पुलिंग एक्ट के तहत ही अब प्राधिकरण नई योजनाएं घोषित कर सकता है, जो कि टीपीएस यानी टाउन प्लानिंग योजना के नाम से रहेगी। पिछले दिनों शासन ने हालांकि 5 में से चार योजनाओं की इसलिए अनुमति दी, क्योंकि एक योजना टीपीएस-4 पर हाईकोर्ट ने स्टे दे दिया था। 5 मई तक की समय सीमा प्राधिकरण बोर्ड के पास भी थी, लिहाजा आचार संहिता लागू होने से पहले संकल्प पारित कर शासन को भिजवा दिया था। दरअसल लैंड पुलिंग एक्ट के तहत अब जो योजनाएं घोषित होती हैं उसकी हर स्टेज के लिए शासन ने समय सीमा तय कर दी है, वरना पहले सालों तक योजनाएं अमल में नहीं आ पाती थी और फाइलों में ही धूल खाती रहती या कोर्ट-कचहरी का शिकार हो जाती।
मगर अब योजना घोषित करने से लेकर उसके अंतिम प्रकाशन तक की समय सीमा तय है। यही कारण है कि 1732 एकड़ की पांच योजनाएं टीपीएस के तहत घोषित कर तय समय सीमा में प्राधिकरण ने मंजूरी के लिए शासन को भिजवा दिया और फिर संचालक नगर तथा ग्राम निवेश से उसका अनुमोदन मांगा। चूंकि संचालक ने अपने ये अधिकार संयुक्त संचालक नगर तथा ग्राम निवेश एसके मुद्गल को दे दिए हैं। लिहाजा उन्होंने इन योजनाओं को मंजूरी और उसके बाद चार योजनाओं का गजट नोटिफिकेशन भी हो गया, जिनमें टीपीएस-1, 3 , 5 और 8 शामिल है। टीपीएस-4, जो कि निपानिया और कनाडिय़ा में लाई जा रही है, उस पर हाईकोर्ट ने लगाई थी। इसी तरह की रोक टीपीएस-6 पर भी थी, मगर वह चूंकि पहले से ही निरस्त होने के चलते प्राधिकरण ने टीपीएस-9 को मंजूरी दे दी। हालांकि हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट कर दिया था कि न्यायालयीन प्रक्रिया के चलते जो समय लगेगा उसे योजना मंजूरी की समय सीमा में शामिल नहीं माना जाएगा।
पिछले दिनों टीपीएस-9 को भी शासन ने मंजूरी दे दी थी, जिसमें भिचौली हब्सी, कनाडिय़ा और टिगरिया राव की 263 हेक्टेयर जमीन शामिल है। दूसरी तरफ प्राधिकरण टीपीएस के तहत घोषित की गई 5 योजनाओं में शामिल 1732 एकड़ जमीन के संबंध में बोर्ड से अनुमति ले ली थी, जिसमें टीपीएस-1 में खजराना की जमीनें शामिल है, तो टीपीएस-3 में लसूडिय़ामोरी, तलावलीचांदा, अरण्ड्या और मायाखेड़ी। टीपीएस-4 में निपानिया व कनाडिय़ा, टीपीएस-5 में भी कनाडिय़ा शामिल है और टीपीएस-8, जिसमें भौंरासला, कुमेर्डी, भांग्या, कैलोदहाला, लसूडिय़ामोरी, तलावलीचांदा, शकरखेड़ी और अरण्ड्या आता है। इन सभी निजी जमीनों पर 600 आपत्तियों की सुनवाई भी पिछले दिनों प्राधिकरण ने सम्पन्न कर ली और 50 फीसदी जमीन वापस उनके मालिकों को लौटा दी जाएगी और शेष 50 फीसदी जमीन में से 20 फीसदी पर प्राधिकरण भूखंड विकसित कर बेचेगा और शेष 30 फीसदी जमीन ग्रीन बेल्ट, सडक़ों के निर्माण और अन्य सार्वजनिक उपयोग के लिए इस्तेमाल की जाएगी। लगभग 500 करोड़ रुपए के विकास कार्यों की भी मंजूरी बोर्ड ने दे दी थी। अब आचार संहिता खत्म होने के बाद प्राधिकरण इन विकास कार्यों की टेंडर प्रक्रिया शुरू करेगा।
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