नई दिल्ली। देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi) से देवों का शयनकाल शुरू हो गया है. शिव पुराण के अनुसार जब भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं तब संसार की बागडोर भगवान शिव (Lord Shiva) के हाथों में रहती है. 14 जुलाई 2022 से सावन की शुरुआत हो रही है. मान्यता है कि इस दौरान शिव जी कैलाश छोड़कर पृथ्वी पर आते हैं और यहीं से ब्रह्मांड का संचालन करते हैं. आइए जानते है सावन (Sawan ) में धरती पर कहां निवास करते हैं भगवान भोलेनाथ(Lord Bholenath) .
पौराणिक कथाओं (mythology) के अनुसार सावन के महीने में भगवान शिव अपने पूरे परिवार के साथ अपने सुसराल आते हैं. हरिद्वार के कनखल में भगवान शिव का ससुराल है. यहां स्थित दक्ष मंदिर में भगवान शिव और माता सति से विवाह के बंधंन में बंधे थे.
दक्ष प्रजापति ने लिए था शिव जी से वचन
भगवान भोलेनाथ ने देवताओं के आग्रह पर राजा दक्ष को बकरे का सिर लगाकर दोबारा जीवित किया था. अपने अभिमान की माफी मांगते हुए दक्ष प्रजापति ने शिव जी से वचन लिया था कि हर साल सावन में वो यहां निवास करेंगे और उन्हें सेवा का मौका देंगे. मान्यता है कि तभी से सावन में भगवान शिव धरती पर आकर सृष्टि का संचालन करते हैं. भगवान शिव कनखल में पूरे श्रावण मास दक्षेश्वर रूप में विराजमान रहते हैं. यही वजह है कि सावन में शिव की पूजा का विशेष महत्व होता है.
कनखल में है मौजूद है ये निशान
कहते हैं कि यहां मौजूद एक छोटा सा गड्ढा राजा दक्ष प्रजापति के यज्ञ की निशानी है जिसमें देवी सती ने प्राण त्याग दिए थे. वहीं मूर्छित देवी सती को भुजाओं में उठाते हुए भगवान शिव की मूर्ति मां सती के समाधि लेने के बाद की घटना को दर्शाती है.
(नोट- इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।)
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