कांग्रेस में दो फाड़ होने पर नुकसान
बंबई बाजार जैसे क्षेत्र में आप पार्टी ने दी टक्कर तो खजराना इलाके में कांग्रेस को गंवाना पड़ सकती है सीट
इंदौर, संजीव मालवीय। इस बार भाजपा ने एक विशेष रणनीति के तहत मुस्लिम वार्डों से मुस्लिम नेताओं को टिकट नहीं देकर उस क्षेत्र में रहने वाले हिन्दू कार्यकर्ताओं को टिकट दिया। जाहिर है कि जब इन क्षेत्रों में भाजपा का मुस्लिम नेता ही चुनाव में नापसंद कर दिया जाता है तो हिन्दू प्रत्याशी कैसे जीत पाएंगे? हालांकि इस बार कांग्रेस के हाथों से भी दो से तीन सीटें छिनने की आशंका है, क्योंकि यहां निर्दलियों ने समीकरण बिगाड़ दिए हैं।
17 जुलाई को प्रत्याशियों की मेहनत का परिणाम सामने आ ही जाएगा, लेकिन शहर के जो 9 मुस्लिम वार्ड हैं, वहां इस बार समीकरण गड़बड़ाने की संभावना नजर आ रही है। भाजपा पिछली बार की तरह इस बार भी एक भी सीट ले जाते नहीं दिख रही है तो कांग्रेस में दो फाड़ होने के कारण इस बार सीटों का नुकसान उठाना पड़ सकता है। खजराना इलाके में तो ये खबर चल रही है कि वहां कुछ वरिष्ठ नेताओं को मुंह की खाना पड़ सकती है तो आजाद नगर वाले वार्ड में भी जोरदार टसल है, वहीं इस बार मुस्लिम समाज में ही दो फाड़ हो जाने के कारण कांग्र्रेस को नुकसान उठाना पड़ सकता है। मुस्लिम बहुल कुछ वार्डों में इस तरह चल रहे हैं हार-जीत के समीकरण…
वार्ड क्रमांक 38
इस वार्ड में मुस्लिम प्रत्याशियों में ही आपस में मुकाबला है। कांग्रेस से सौफिया अन्नू पटेल तो निर्दलीय जमीला उस्मान पटेल और गुलनाज इम्तियाज के बीच मुकाबला था। उस्मान चूंकि वर्ततान में कांग्रेस में हैं और उनका वहां अच्छा वर्चस्व है तो जाहिर है कांग्रेस के ही वोट बैंक पर असर पड़ सकता है। यहां जो जीतेगा, उसका रूतबा अलग ही होगा।
वार्ड क्रमांक 39
यहां भी कांग्रेस की रूबीना इकबाल खान और तस्लीमा वाहिद अली तथा नजमा खालिद खान और सलीम पटेल के बीच चुनाव लड़ा गया। भाजपा की उपस्थिति यहां भी नहीं दिखाई दी। इस बार रूबीना के लिए मुश्किलें हैं। इस वार्ड में आश्चर्यजनक परिणाम आएंगे, ये कहना कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।
वार्ड क्रमांक 53
यहां त्रिकोणीय मुकाबला था और इस बार यहां शेख अलीम की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी हुई है। उनके भाई शेख असलम की पत्नी शबनम से ही उनका मुकाबला है। अलीम को अपने ही घर में संघर्ष करना पड़ा है, वहीं इनके लिए निर्दलीय के रूप में फारूक पठान ने भी मुश्किलें खड़ी कर दीं हैं, जो पिछली बार 4 हजार से अधिक वोट लाए थे। यहां भी मुकाबला रोचक रहा था और परिणाम भी आश्चर्यजनक ही आने की संभावना है। भाजपा यहां से नदारद ही रही, वहीं एक अन्य निर्दलीय प्रत्याशी भी इनके लिए मुसीबत खड़ी कर सकती है।
वार्ड क्रमांक 73
कांग्रेस के इस वार्ड में इस बार परिवर्तन की संभावना न के बराबर ही नजर आ रही है। भाजपा प्रत्याशी के कमजोर होने के कारण यहां पूर्व पार्षद की पत्नी चुनाव जीतकर आ सकती है।
वार्ड क्रमांक 60
मुकाबला तो यहां भी तगड़ा है, लेकिन अंसाफ अंसारी की स्थिति अच्छी बताई जा रही है, जो अपनी पत्नी को यहां से चुनाव लड़ा रहे हैं। दूसरे नंबर पर मुन्ना अंसारी को बताया जा रहा है।
वार्ड क्रमांक 2
यहां से कांग्रेस की ओर से यास्मिन मंसूरी हैं तो भाजपा की बबली नरवरे को नाम के लिए ही चुनाव लड़ाया गया है। मुस्लिम बहुल इस इलाके में पिछली बार मुबारिक खान पार्षद थे, लेकिन इस बार उन्होंने अपनी पत्नी को चुनावी मैदान में उतारा है तो रफीक खान की पत्नी भी चुनाव लड़ रही हैं। दोनों के बीच ही जोरदार फाइट है।
वार्ड नंबर 68
मुस्लिम बहुल इस वार्ड में बेग परिवार का कब्जा रहा है। तो इस बार बंटी टापया और अनवर देहलवी उन्हें टक्कर दे रहे हैं। अनवर को छीपा समाज का साथ है और बंटी भी अच्छी टक्कर दे रहे हैं। यहां से इस बार कांग्रेस के विपक्ष में परिणाम जा सकता है।
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