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    बड़े स्कूलों में मुफ्त एडमिशन के लिए 11 हजार बच्चों की लॉटरी खुलेगी

  • July 12, 2022

    आरटीई के तहत 15 हजार आवेदन आए थे, 1645 स्कूलों में 12894 आरक्षित है सीट
    इन्दौर। नि:शुल्क (free) और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम (compulsory right to child education act) के तहत कमजोर वर्ग एवं वंचित समूह के बच्चों के लिए निजी स्कूलों (private schools) में नि:शुल्क प्रवेश के लिए इस बार 15160 कुल आवेदन आए, जिनमें से 11049 के आवेदन ही सही पाए गए। लॉटरी (lottery) 14 जुलाई को खुलेगी और मैसेज द्वारा स्कूलों का आवंटन होगा।


    जिला परियोजना अधिकारी अक्षय सिंह राठौर (Akshay Singh Rathore) ने बताया कि पिछले माह 15 जून से आवेदन करने की प्रक्रिया शुरू हुई थी। पहले यह 30 जून तक थी, फिर चुनाव (election) के कारण बढ़ाकर इसे 5 जुलाई तक कर दिया गया। सत्यापन के लिए 9 जुलाई आखिरी तारीख थी। इंदौर जिले में कुल 15160 लोगों ने आरटीई के तहत अपने बच्चों को निजी स्कूलों (private schools) में पढ़ाने के लिए ऑनलाइन आवेदन किया था। इनमें से सत्यापन ( verification)  के बाद 11049 के आवेदक ही पात्र पाए गए, जबकि इंदौर में 1645 स्कूलों में 12894 सीटें आरक्षित हैं। अब पात्र छात्रों में से ही रेंडमली लॉटरी खुलेगी। जिनकी लाटरी खुलेगी, उन्हें मैसेज भेजे जाएंगे, जिसमें स्कूल का नाम होगा। इसके बाद दूसरा चरण भी जल्द शुरू होगा। पिछले साल भी इंदौर जिले में 1652 स्कूलों में 12833 सीटें आरक्षित थीं। 14369 ने आवेदन किया था और 10848 आवेदन सत्यापन के बाद पात्र पाए गए थे। लॉटरी भी 6706 की खुली थी, जिनमें से 5402 ने एडमिशन लिया था।


    हर साल रह जाती है कई सीटें रिक्त
    पिछले कुछ सालों में देखा जा रहा है कि आवेदन तो बहुत होते हैं, लेकिन सत्यापन ( verification) के बाद पात्र आवेदकों की संख्या सीटों से भी कम रह जाती है। उसमें से भी लॉटरी आधो की ही खुलते है और एडमिशन भी सभी लोग नहीं लेते हैं। ऐसे में अधिकांश स्कूलों में आधी सीटें भी नहीं भर पाती हैं। कई स्कूलों में नाममात्र के बच्चे एडमिशन लेते हैं। पालकों के मनपसंद के स्कूल लॉटरी में नहीं खुली तो वे बच्चों का एडमिशन नहीं भी कराते हैं।


    बड़े स्कूलों की डिमांड
    आरटीई के तहत मुफ्त शिक्षा पाने के लिए हर पालक चाहता है कि उसका बच्चा बड़े निजी स्कूल में पढ़े। इसके लिए इन बड़े स्कूलों में आवेदनों की संख्या काफी ज्यादा हो जाती है, लेकिन सीटें कम होने से हर बच्चे को एडमिशन नहीं मिल पाता। मनपसंद स्कूल नहीं मिलने से पालक एडमिशन नहीं कराते।

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