जम्मू। अमरनाथ त्रासदी (amarnath tragedy) के दो दिन बाद सोमवार तड़के पारंपरिक पहलगाम मार्ग (Pahalgam Road) से यात्रा (Amarnath Yatra) को बहाल कर दिया गया। यात्रा रूट पर शेषनाग और पंचतरणी (Sheshnag and Panchtarni) में फंसे सैकड़ों श्रद्धालुओं को भी पवित्र गुफा के लिए भेजा गया। बालटाल (baltal) से यात्रा को फिलहाल रोका गया है, जिसे मंगलवार को मौसम साफ होने की सूरत में छोड़ा जाएगा। इस बीच आधार शिविर भगवती नगर जम्मू से कड़ी सुरक्षा के बीच 4026 श्रद्धालुओं का जत्था रवाना किया गया।
बालटाल आधार शिविर में करीब दस हजार श्रद्धालु रुके हुए हैं। अमरनाथ त्रासदी के बाद से बालटाल में यात्रा रोकी गई है। यात्रा स्थगित होने के बावजूद शिवभक्तों में उत्साह बरकरार है। आधार शिविर भगवती नगर जम्मू से बालटाल रूट के लिए 1016 और पहलगाम रूट के लिए 3010 श्रद्धालुओं को भेजा गया। यात्रा रूट में रामबन आधार शिविर में रोके गए यात्रियों को भी सोमवार को आगे भेजा गया। आधार शिविर में पूरा माहौल शिवमय बना हुआ है। यात्रा शुरू होने के साथ भक्तों को राहत मिली है। मंगलवार को दोनों रूटों से यात्रा बहाल होने की सूरत में हजारों श्रद्धालुओं को बाबा बर्फानी के दर्शनों का सौभाग्य मिलेगा। जत्थे की रवानगी के दौरान आम वाहनों की आवाजाही को रोका गया था।
6047 शिवभक्तों ने किए दर्शन
अमरनाथ त्रासदी के दो दिन बाद सोमवार तड़के पारंपरिक पहलगाम मार्ग से यात्रा को बहाल कर दिया गया। यात्रा रूट पर शेषनाग और पंचतरणी में फंसे सैकड़ों श्रद्धालुओं समेत 6047 शिवभक्तों ने पवित्र गुफा में बाबा बर्फानी के दर्शन किए।
अब श्रीनगर से सीधे पंचतरणी के लिए हेली टिकट
श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड की ओर से शिव भक्तों के लिए श्रीनगर से पंचतरणी के लिए सीधे हेली टिकट सेवा शुरू की गई है। इससे पहले श्रीनगर से नीलग्राथ/पहलगाम क़े लिए हेलिकॉप्टर बुकिंग उपलब्ध थी और वहां से यात्री को पंचतरणी के लिए अलग से टिकट लेना पड़ता था। बोर्ड की संबंधित हेली सेवा लिंक के माध्यम से यात्री अब श्रीनगर से पंचतरणी और पंचतरणी से श्रीनगर के लिए हेली टिकट को बुक करवा सकते हैं। श्रीनगर से पंचतरणी के लिए एकतरफा किराया 14500 रुपये निर्धारित किया गया है।
रात भर में सेना ने तैयार किया वैकल्पिक मार्ग
अमरनाथ गुफा के पास सेना का राहत अभियान जारी है। सेना के जवानों ने बाबा बर्फानी की गुफा को जाने वाला वैकल्पिक मार्ग रातों रात तैयार किया है, ताकि यात्री सुरक्षित दर्शन कर सकें। वहीं सेना की इन परिस्थितियों से अभ्यस्त विशेष टीमें लापता लोगों की तलाश में जुटी हैं। सेना ने वैकल्पिक मार्ग तैयार करने के लिए रविवार रात ग्लेशियर और पहाड़ काट कर रास्ता तैयार किया। इसके साथ ही रेत के भरे बोरों का भी प्रयोग किया गया है।
सेना की ओर से बताया गया है कि गुफा के पास पुराने रास्ता फिलहाल इस्तेमाल के लायक नहीं है उस पर काफी पानी भरा हुआ है। लिहाजा इसके लिए एक वैकल्पिक मार्ग बनाने की जरूरत थी। सेना के जवानों ने रविवार की रात सबसे पहले इसके लिए रास्ते को समतल किया। इसके बाद यहां पर रेत भर के बोरे रखे गए, जिनकी सीढ़ियां बनाई गईं। इसी रास्ते से सोमवार को यात्रा शुरू होने पर श्रद्धालुओं ने दर्शन किए।
बता दें कि गुफा के पास तैनात सेना के 2 हजार से अधिक जवान बचाव व राहत कार्य में जुटे हैं। अभी तक लापता 40 से अधिक लोगों की तलाश पवित्र गुफा के तीन किलोमीटर दायरे में की जा रही है।
अमरनाथ गुफा के पास पहली बार आई ऐसी बाढ़: श्राइन बोर्ड
अमरनाथ श्राइन बोर्ड ने कहा है कि पवित्र गुफा के पास पहली बार इस तरह का सैलाब आया था। यात्रा के लिए इंतजाम करने से पूर्व पिछले वर्षों में बारिश और बाढ़ का अध्ययन किया गया था। विशेषज्ञों की राय लेने के बाद ही नाले से सुरक्षित दूरी पर टेंट लगाए गए थे, लेकिन इस बार गुफा के ऊपर से और अन्य जगहों से जो पानी आया, वो अनुमान से कहीं ज्यादा था। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ।
हाल ही में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने आरोप लगाया था कि यात्रियों के लिए टेंट नाले में लगाए गए जो कि जोखिम भरा स्थान था। इस मामले की जांच होनी चाहिए। इन आरोपों पर बोर्ड के प्रवक्ता ने कहा कि नाले से सुरक्षित दूरी पर टेंट लगाए गए थे। इसके लिए वर्ष 2015 और 2021 को आई बाढ़ से जुड़े आंकड़ों को भी ध्यान में रखा गया। बोर्ड प्रवक्ता ने कहा कि मंगलवार तक नुकसान के सभी आंकड़े मिल जाएंगे। कुछ यात्रियों को आरएफआईडी कार्ड न दिए जाने पर प्रवक्ता ने कहा कि सभी यात्रियों को अनिवार्य रूप से यह कार्ड दिए गए हैं।
यात्रा मार्ग पर फंसे 123 लोगों को किया एयरलिफ्ट
अमरनाथ हादसे में इवेक्यूएशन ऑपरेशन के दौरान वायुसेना के हेलिकॉप्टरों में 123 लोगों को एयरलिफ्ट किया गया। सोमवार को एयर कमोडोर पंकज मित्तल ने बताया कि फंसे यात्रियों को निकालने के लिए शुरू किया गया ऑपरेशन पूरा कर लिया गया है। वायुसेना के एमआई-17 वी5 और चीतल हेलिकॉप्टरों से 123 लोगों को यात्रा मार्ग से श्रीनगर लाया गया। नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स के 20 जवानों और डॉग स्क्वायड को श्रीनगर से ऑपरेशन स्थल तक पहुंचाया गया। मित्तल ने कहा कि हेलिकॉप्टरों से कुल 29 टन राहत सामग्री प्रभावित क्षेत्र तक पहुंचाई गई। उन्होंने कहा कि इस ऑपरेशन को तमाम एजेंसियों के सहयोग से अंजाम दिया गया है।
13 मृतकों की पहचान, तीन शव
अमरनाथ हादसे में मारे गए 13 लोगों की पहचान हो गई है। मृतकों में सात यात्री राजस्थान निवासी थे। उत्तर प्रदेश और दिल्ली से दो-दो यात्री इस हादसे का शिकार हुए। एक यात्री महाराष्ट्र का रहने वाला था। तीन शवों की अभी तक पहचान नहीं हुई है। प्रशासन के अनुसार दो मृतकों का अंतिम संस्कार परिवार की ओर से श्रीनगर में किया गया है। तीन शव गृह क्षेत्र भेजे जा चुके हैं जबकि एक शव को गृह क्षेत्र भेजने की तैयारी की जा रही थी।
मृतकों के नाम
सुशील खत्री निवासी राजस्थान, वीरमति निवासी नई दिल्ली, मोहन लाल वाधवा निवासी गंगानगर राजस्थान, सुमिता वाधवा निवासी गंगानगर राजस्थान, वर्षा मोहरी, अरविंद निवासी निकेपुरवा उत्तर प्रदेश, राजकुमारी निवासी निकेपुरवा उत्तर प्रदेश, सुनीता भोसले निवासी पुणे महाराष्ट्र, विजय सिंह निवासी बरवाला मकराना नागौर राजस्थान, वीर सिंह निवासी रूपपुरा कुछमन नागौर राजस्थान, यजुवेंद्र सिंह निवासी द्वाना नागौर राजस्थान, प्रहलाद राम नागौर राजस्थान, प्रकाश निवासी आंबेडकर नगर नई दिल्ली।
हृदय गति रुकने से अमरनाथ यात्री की मौत
चिनैनी पुलिस स्टेशन के अंतर्गत हाईवे पर श्री अमरनाथ जी के दर्शन कर वापस लौट रहे एक श्रद्धालु की हृदय गति रुकने से मौत हो गई। सोमवार की दोपहर को श्री अमरनाथ यात्रियों का जत्था वापस लौट रहा था। रास्ते में व्यक्ति को कुछ घबराहट हुई तो उसे अस्पताल ले जाया गया। जहां चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया गया। पुलिस ने इस संबंध में रिपोर्ट दर्ज कर ली है। मृतक की पहचान सुरेंद्र सिंह निवासी न्यू दिल्ली के रूप में बताई गई है।
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