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मतदाता सूची को लेकर प्रशासन के साथ न राजनीतिक दलों ने जवाबदारी निभाई और न ही लोगों ने

July 08, 2022

इन्दौर। जिस मतदाता सूची (voter list) में नाम नहीं होने को लेकर बीएलओ (BLO) के माथे ठीकरा फोड़ा जा रहा है, उसमें सबकी बराबर की जिम्मेदारी है। निर्वाचन कार्यालय (election office)  अंतिम मतदाता सूची का प्रकाशन करता है और उसके पहले कई बार मतदाता सूची का प्रकाशन किया जाता है, जिसमें अगर नाम जोडऩा और घटाना हो या फिर नाम नहीं हो तो उसे जोड़ा जा सकता है, लेकिन इसकी जवाबदारी न तो ठीक से आम मतदाताओं ने निभाई और न ही राजनीतिक   दल अंत तक कहते रहे कि हमने मतदाता सूची जांच ली है, लेकिन हजारों लोगों के नाम गायब मिले तो अब वे इसका ठीकरा प्रशासन के माथे फोड़ रहे हैं।


6 जुलाई को मतदान के बाद जो आंकड़े आए हैं, उसने सबको चौंका दिया है, क्योंकि पहले बारिश को लेकर संभावना थी कि मतदान कम होगा, लेकिन बारिश भी नहीं आई और मौसम भी खुला रहा, लेकिन मतदान के आंकड़े कम आए। हर विधानसभा में 60 से 62 प्रतिशत मतदान हुआ, जबकि इन्दौर में कुल 60.88 प्रतिशत मतदान हुआ। मतदान के कम आंकड़ो को लेकर राजनीतिक दल भी चिंता में आ गए हैं, क्योंकि यह आंकड़ा कांग्रेस के लिए फायदेमंद होगा या भाजपा के लिए, यह कोई नहीं कह पा रहा है। हर बार जिला निर्वाचन कार्यालय मतदाता सूची का प्रकाशन करता है और उसमें नाम जोड़े व घटाए जाते हैं, लेकिन इस बार बहुत ही कम लोगों ने अपने नाम कटवाए और जुड़वाए, जो स्थानांतरित हो गए थे। किसी ने यह भी रुचि नहीं ली कि उनका नाम अंतिम मतदाता सूची में आया है या नहीं, जब वे मतदान करने पहुंचे तो उनका नाम नहीं था, कुछ लोग तो ऐसे भी थे, जिनके परिवार में नाम अलग-अलग मतदान केंद्रों पर बांट दिए गए थे तो संविद नगर का महाजन परिवार ऐसा था, जिसमें परिवार के सदस्यों के नाम ही दो वार्डों में बंट गए थे।

इस प्रकार की कई गंभीर त्रुटि मतदाता सूची में मिली है। हालांकि भाजपा ने  इस सूची  को निर्वाचन कार्यालय से मंगवाकर अपने सभी बूथ अध्यक्षो को सौंपा था और उनसे कहा था कि वे सूची के हर पन्ने पर पन्ना प्रभारी बनाकर उसकी जांच करवा ले। उसके साथ ही इस सूची के आधार पर वे मेरा बूथ सबसे मजबूत के नारे को साकार करे। यही नहीं प्रत्येक बूथ पर बीस लोगो ंकी एक टीम भी बनाई गई थी और इसके अध्यक्ष तथा महामंत्री सहित बीएलए को त्रिदेव बनाया था, लेकिन यह पूरा सिस्टम फैल हो गया और मतदाता सूची जांच नहीं पाए। कांग्रेस ने भी निर्वाचन कार्यालय से मतदाता सूची मंगाकर अपने बूथ प्रभारियो को दी थी और उनसे कहा था कि वे भी सूची जांच ले, ताकि जो फर्जी नाम इसमेें है, वे हटाए जा सके और नए नाम जोड़े जा सके। साथ ही वे घर-घर जाकर भी सूची में लिखे हुए नामों की जानकारी ले लें, ताकि मतदान के दौरान किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं आए।

यह काम बूथ लेवल आफिसर को भी करना था, जो जिला निर्वाचन अधिकारी की ओर से नियुक्त किया जाता है, लेकिन वे भी घर-घर नहीं जा पाए और मतदाताओं के नाम की जांच नहीं हो पाई। इसके साथ ही आम मतदाता की भी जवाबदारी होती है कि वे अपने मतदान केंद्र पर जाकर पता करें कि उनका नाम मतदाता सूची में कट तो नहीं गया? इसकी जानकारी समय-समय पर जिला प्रशासन के निर्वाचन विभाग द्वारा जारी की जाती है, लेकिन कोई भी आम आदमी आपत्ति लेने या अपना नाम जांचने नहीं पहुंचता है, ऐसे में इस बार गंभीर त्रुटि मतदाता सूचियों में हुई और अधिकांश लोग मतदान से वंचित रह गए।

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