इंदौर। मेट्रो प्रोजेक्ट (metro project) में अब बड़े ठेकों (tender) की मंजूरी(permission) भी होने लगी है। रेल कोच(rail coach) के साथ-साथ इलेक्ट्रीफिकेशन (electrification) का ठेका भी फाइनल हो गया है। 33.53 किलोमीटर का जो पहला चरण (First stage) इंदौर मेट्रो का है उसके साथ गांधी नगर डिपो के भी इलेक्ट्रीफिकेशन का ठेका 568.31 करोड़ में कल्पतरू पॉवक ट्रांसमिशन लिमिटेड को मिला है। 6 अन्य कम्पनियों को पछाड़कर यह ठेका कल्पतरू की झोली में गया, तो दूसरी तरफ 1100 करोड़ अधिक में 156 कोच का ठेका एल्स्टॉम ट्रांसपोर्ट इंडिया को 3248 करोड़ में दिया गया है। इसका खुलासा सबसे पहले अग्निबाण ने ही पिछले दिनों किया था। इंदौर मेट्रो का काम सुपर कॉरिडोर से लेकर एमआर-10 और विजय नगर होते हुए रोबोट चौराहा तक तेज गति से चल रहा है। मध्यप्रदेश मेट्रो रेल कार्पोरेशन ने रोलिंग स्टॉक यानी कोच व अन्य कार्यों के लिए अंतर्राष्ट्रीय टेंडर बुलाए, जिसमें इलेक्ट्रीफिकेशन सहित अन्य काम भी शामिल हैं।
मेट्रो कोच यानी रेल के डिब्बों के लिए दो कम्पनियों ने हिस्सा लिया। इंदौर और भोपाल में 156 कोच खरीदे जाएंगे, जिसमें से 81 कोच भोपाल के और 75 कोच इंदौर के रहेंगे, जो कि पहले चरण में दौड़ने वाली 25 मेट्रो ट्रैन में इस्तेमाल किए जाना है। इसके लिए अलस्टॉम ट्रांसपोर्ट कम्पनी ने 3248 करोड़ के टेंडर भरे थे। हालांकि यह 1100 करोड़ रुपए अधिक कीमत के थे। बावजूद इसके इन टेंडरों को अभी मंजूरी दी गई है। दरअसल निर्माण सामग्री सहित अन्य कीमतों में जो वृद्धि हुई, उसके चलते कोच की लागत भी बढ़ गई है। हालांकि इसके टेंडर 2145 करोड़ के ही थे और 51 फीसदी अधिक राशि के टेंडर प्राप्त हुए। वहीं दूसरी तरफ इलेक्ट्रीफिकेशन का ठेका कल्पतरू पॉवर ट्रांसमिशन लिमिटेड को मिला है। इंदौर मेट्रो के पहले चरण में जो 33.53 किलोमीटर की जो यलो लाइन रहेगी उसके सम्पूर्ण इलेक्ट्रीफिकेशन, जिसमें एलिवेटेड और अंडरग्राउंड स्टेशनों के साथ-साथ गांधी नगर सुपर कॉरिडोर पर जो 75 एकड़ में विशाल डिपो बनाया जा रहा है उसका भी इलेक्ट्रीफिकेशन इस टेंडर में शामिल रहेगा।
कल्पतरू ने 568.31 करोड़ रुपए का टेंडर भरा, जो कि अन्य 6 प्राप्त टेंडरों की राशि में कम रहा। दूसरे स्थान पर स्टर्लिंग एंड विल्सन लिमिटेड रही, जिसने 601 करोड़, तीसरे स्थान पर सीमंस लिमिटेड का टेंडर 609.47 करोड़ और चौथे स्थान पर लॉर्सन एंड ट्रूबो लिमिटेड रही, जिसने 646 करोड़, वहीं उससे ज्यादा लिंग्सन इंडिया लि. ने 648.51 करोड़, वहीं केईसी इंटरनेशनल लि. ने 677.34 करोड़ और अलस्टॉम ट्रांसपोर्ट लि. ने सर्वाधिक 788.75 करोड़ का टेंडर भरा था। इसी कम्पनी को 156 कोच का ठेका मिला है। पिछले दिनों मध्यप्रदेश मेट्रो रेल कार्पोरेशन ने रोलिंग स्टॉक खरीदी के ये टेंडर बुलाए थे। इसके साथ-साथ सिग्नलिंग, ट्रेन कंट्रोल सिस्टम, टेली कम्यूनिकेशन के काम भी शामिल रहेंगे। 7 साल तक कम्पनी रख-रखाव के साथ-साथ अन्य कार्य भी करेगी।
इंदौर में जो मेट्रो प्रोजेक्ट अमल में लाया जा रहा है, उसमें एक मेट्रो ट्रैन की लम्बाई 140 मीटर रहेगी और इस लम्बाई के अनुरूप ही पहले चरण के प्रोजेक्ट के लिए 29 स्टेशनों का निर्माण किया जा रहा है। 33.53 किलोमीटर के ट्रैक पर 25 मेट्रो ट्रैन दौड़ेगी और हर एक ट्रैन में तीन-तीन कोच रहेंगे, जिसके चलते 75 कोच, यानी मेट्रो कार रोलिंग स्टॉक की खरीदी की जा रही है। जब दूसरे ट्रैक के प्रोजेक्ट बनाए जाएंगे, तब उसके लिए फिर अलग से कोच और अन्य सिस्टम लगेगा। अभी तक फ्रांस और जर्मनी की कम्पनियां ही मेट्रो कोच सहित अन्य सामग्री निर्मित करती रही, मगर फिलहाल देश में कई बड़े शहरों में मेट्रो प्रोजेक्ट शुरू हो गए। लिहाजा कई देसी कम्पनियों ने भी विदेशी कम्पनियों के साथ संयुक्त उपक्रम में कोच सहित अन्य सामग्रियों का निर्माण शुरू कर दिया है। हालांकि अधिकांश तकनीक और सामग्री विदेशी कम्पनियों से ही लेना पड़ रही है, लेकिन असैम्बलिंग सहित अन्य कार्य देश में ही होने लगे हैं।
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