लखनऊ: उत्तर प्रदेश पुलिस के दामन पर दाग लगने का सिलसिला थमता नजर नहीं आ रहा. बीते साल ही लखनऊ पुलिस के ऊपर कानपुर में डकैती का मुकदमा दर्ज हुआ था. अब ताजा मामला लखनऊ का ही है, जहां पर पुलिस की 112 सेवा में तैनात सिपाही ने अपने साथियों के साथ मिलकर व्यापारी का अपहरण किया, जान से मारने की कोशिश की और 10 लाख रुपए रंगदारी मांगी. फिलहाल व्यापारी की तहरीर पर मुकदमा दर्ज है. आरोपी सिपाही अपने साथियों के साथ फरार है.
सीतापुर का रहने वाला मोहन विश्वकर्मा लखनऊ में ही गाड़ियों की खरीद फरोख्त का काम करता है. घटना बीती 2 जुलाई की है, जब मोहन विश्वकर्मा की भतीजी का एक्सीडेंट होने के बाद इलाज के दौरान लखनऊ ट्रामा सेंटर में मौत हो गई. मोहन शव को पोस्टमार्टम के लिए ले जाने के इंतजाम के लिए ट्रामा सेंटर से बाहर निकला था, तभी घात लगा कर बैठे कुछ लोगों ने मोहन को एक कार में बैठा लिया और तेजी से कार को गोमती नगर के तरफ ले जाने लगे.
रास्ते में मोहन को पीटा गया, धमकाया गया और फिर विभूति खंड स्थित एमिटी कॉलेज के पास एक किराए के मकान में बंधक बनाया गया. मोहन के शरीर पर चोट के निशान गवाही दे रहे हैं कि उसके साथ क्या हुआ. मोहन को जमकर पीटा, उसके कपड़े उतारे और फिर वीडियो बनाकर वायरल करने की धमकी दी. इतना ही नहीं मोहन को करंट भी लगाया और 10 लाख रुपए मंगाने की डिमांड रखी.
किसी तरह मोहन 10 लाख रुपये देने का वादा कर जान बचाकर बाहर निकला भागा तो अब पुलिस थाने पहुंच गया. उसने चौक कोतवाली में एफआईआर दर्ज करवाई है. मोहन की माने तो उसका अपहरण उत्तर प्रदेश पुलिस के कॉन्स्टेबल आलोक तिवारी ने किया था. आलोक तिवारी अपने साथियों के साथ आया था जिसमें संजय सिंह और विनय सिंह को मोहन पहचानता है. आलोक कहने को यूपी पुलिस का सिपाही है लेकिन वह विभूति खंड में गैराज चलाता है.
कहने को तो पुरानी गाड़ियों के खरीद-फरोख्त का धंधा है, लेकिन मोहन दबी जुबान में बिना कैमरे के कहता है कि आलोक तिवारी गैराज की आड़ में चोरी की गाड़ियों को कटवाने और उनको बेचने का काम करता है. फिलहाल पुलिस का कहना है कि हमने पीड़ित की तहरीर पर एफआईआर दर्ज कर ली है, आरोपी सिपाही व घटना में शामिल अन्य आरोपियों की तलाश की जा रही है.
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