नई दिल्ली: पेंसिल और इरेजर (रबड़), इन दोनों का इस्तेमाल हमने कभी ना कभी अपनी लाइफ टाइम में किया ही होगा, लेकिन आपने कभी सोचा है कि अगर ये दोनों कभी आपस में बात करते होंगे तो क्या बात होती होगी. Ceat Tyre बनाने वाली कंपनी RPG Group के प्रमुख हर्ष गोयनका ने ट्विटर पर इसका एक वीडियो शेयर किया, तो आनंद महिंद्रा ने भी उसे दोबारा शेयर करते हुए एक बढ़िया-सा मेसेज लिख दिया. साथ ही कहा कि पेंसिल और इरेजर की ये बातचीत-इंसान के लिए बड़ी सीख है.
आनंद महिंद्रा ने कही ये सुंदर बात
इस वीडियो के साथ आनंद महिंद्रा ने लिखा- ये एक बहुत मार्मिक संदेश है, जो स्वभाविक तौर पर हम जैसे बूढ़े होते अभिभावकों से जुड़ जाता है. लेकिन एक बात मैं भी कहना चाहता हूं हर्ष-कई बार दुनिया में बहुत से बच्चे ऐसे होते हैं जो अपने माता-पिता की गलतियों और गलत कदमों को सुधारने में अपनी जिंदगी का बड़ा हिस्सा गुजार देते हैं.
पेंसिल और इरेजर के बीच हुई ये बात
वीडियो में पेंसिल और इरेजर की बातचीत को इंसान और उसके माता-पिता के रोल से कंपेयर किया गया है. पेंसिल और इरेजर की बातचीत इस तरह होती है…
पेंसिल (इरेजर से)-मुझे माफ करना!
इरेजर-माफ? किसलिए?
पेंसिल-मुझे माफ करना, क्योंकि मेरी वजह से तुम्हें दुख होता है. जब भी मैं कोई गलती करती हूं तुम हमेशा उसे मिटा देती हो. लेकिन जब तुम मेरी गलती मिटाती हो, तुम अपना एक हिस्सा खो देती हो और हर बार छोटी होती जाती हो.
A very poignant message that naturally resonates with us elderly parents. But it also occurred to me, Harsh, that often, many children in the world have to spend much of their lives erasing the mistakes & missteps of their parents! @hvgoenka https://t.co/G17NAU4jBC
— anand mahindra (@anandmahindra) July 3, 2022
इरेजर- ये सच है, लेकिन मुझे दुख नहीं होता. देखो…मुझे बनाया ही इसलिए गया है. मुझे, तुम जब भी कोई गलती करो तब तुम्हारी मदद करने के लिए ही बनाया गया है. वो भी तब, जब मुझे पता है कि एक दिन मैं चली जाउंगी, मैं मेरे काम से खुश हूं. तो चिंता करना बंद करो, मैं खुश नहीं होउंगी अगर मैं तुम्हें दुखी देखूंगी.
इसी वीडियो में सीख दी गई है- हमारे माता-पिता भी इरेजर की तरह ही होते हैं और हम पेंसिल की तरह, माता-पिता हमेशा अपने बच्चों के लिए खड़े रहते हैं और उनकी गलतियों को ठीक करते रहते हैं. इस दौरान वो कई बार दुखी भी होते हैं और समय के साथ छोटे (बुजुर्ग) होते जाते हैं और एक दिन चले जाते हैं.
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