इंदौर। स्थानीय चुनावों में केन्द्रीय कर्मचारियों की ड्यूटी लगाने के संबंध में जबलपुर हाईकोर्ट ने कल जो निर्देश दिए उसके चलते इंदौर सहित प्रदेशभर में चुनावी ड्यूटी के लिए कर्मचारियों का टोटा पड़ गया। इंदौर में ही निगम चुनाव के लिए 1500 केन्द्रीय कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई थी, जिसे अब निरस्त करना पड़ रहा है। नतीजतन आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं से लेकर धार, झाबुआ, रतलाम व अन्य आसपास के जिलों से कर्मचारियों को बुलाना पड़ रहा है। हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग की दलील को नहीं माना और केन्द्रीय कर्मचारियों की ड्यूटी से संबंधित याचिका में केन्द्रीय कर्मचारियों की ड्यूटी लगवाने से इनकार कर दिया। दरअसल, इंदौर हाईकोर्ट ने पिछले दिनों एलआईसी कर्मचारियों की याचिका खारिज कर दी थी, जिसके चलते जिला निर्वाचन कार्यालय ने एलआईसी सहित अन्य केन्द्रीय विभागों के कर्मचारियों की ड्यूटी लगा दी थी।
भारत निर्वाचन आयोग के अधीन तो राज्य और केन्द्र के सभी कार्यालय आते हैं और लोकसभा-विधानसभा चुनावों में इनकी चुनावी ड्यूटी लगती भी रही है, मगर पंचायत और नगरीय निकायों के स्थानीय चुनावों में केन्द्रीय कर्मचारियों की ड्यूटी को लेकर इस बार कोर्ट-कचहरी हुई। पहले इंदौर हाईकोर्ट से ही स्टे हासिल किया गया, जिसे जब जिला निर्वाचन कार्यालय की ओर से चुनौती दी गई, तो हाईकोर्ट ने एलआईसी सहित अन्य कर्मचारियों की चुनावी ड्यूटी लगाने की सहमति दे दी। मगर कल जबलपुर हाईकोर्ट ने एक आदेश दिया, जिसमें वैधानिक रूप से केन्द्रीय अधिकारी-कर्मचारी चुनावी ड्यूटी के लिए बाध्य नहीं रहेंगे और आगे की तारीखों में इनकी चुनावी ड्यूटी नहीं लगाई जाए।
आयोग की ओर से एक आवेदन जबलपुर उच्च न्यायालय की मुख्य खंडपीठ में पेश किया गया, जिसमें कहा कि 24 और 27 जून को अन्य बैंचों ने जो आदेश पारित किया है उसमें केन्द्रीय कर्मियों की चुनावी ड्यूटी से इनकार किया गया है, उसे हटाया जाए। वहीं दूसरी तरफ एलआईसी सहित अन्य केन्द्रीय कर्मचारी संघों ने अपनी याचिकाओं में कहा कि नगर पालिका निर्वाचन और पंचायत चुनाव स्थानीय स्तर पर कराए जाते हैं और इसमें राज्य सरकार के ही कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई जा सकती है। केन्द्रीय संस्थाओं को राज्य सरकार से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष कोई आर्थिक मदद भी नहीं मिलती। लिहाजा निगम चुनावों में ड्यूटी लगाना अनुचित है।
लिहाजा जबलपुर हाईकोर्ट ने केन्द्रीय कर्मचारियों को चुनावी ड्यूटी से मुक्त करने के आदेश दिए, जिसके चलते इंदौर में भी कर्मचारियों का टोटा पड़ गया। हालांकि आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं से लेकर अन्य विभागों से कर्मचारियों को लिया गया है। लगभग 1500 कर्मचारियों की अतिरिक्त जुगाड़ करना पड़ी। वहीं आसपास के जिलों से भी कर्मचारियों को बुलाया गया है। दरअसल इस बार पंचायत और निगम चुनाव एक साथ होने के कारण कर्मचारियों का टोटा पड़ गया और सभी को प्रशिक्षण देने से लेकर अन्य तैयारियों के लिए भी समय कम मिला। इंदौर निगम के चुनाव के लिए लगभग 11 हजार और पंचायतों के लिए 4 हजार, इस तरह 15 हजार कर्मचारियों की आवश्यकता पड़ रही है। दूसरी तरफ कलेक्टर व जिला निर्वाचन अधिकारी मनीष सिंह ने कल एक आदेश जारी कर सभी विभागों के अधिकारियों-कर्मचारियों को निर्देश दिए कि 2 और 3 जुलाई को भी दफ्तर खुले रहेंगे और सभी कार्यालयों में उपस्थित रहें।
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