यरूशलम: इजराइली संसद एक स्पेशल बिल पास करके नए चुनाव का रास्ता साफ कर दिया है. तमाम पार्टियां नए चुनाव कराने का समर्थन कर चुकी हैं. 2019 से 2022 के बीच यह पांचवां इलेक्शन है. नफ्टाली बेनेट सरकार में नंबर दो रहे येर लैपिड को केयरटेकर सरकार की जिम्मेदारी दी गई है. कुछ दिन पहले ये माना जा रहा था कि पूर्व प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू समर्थन जुटाकर फिर प्रधानमंत्री बन सकते हैं. हालांकि, बाद में उन्होंने भी तय कर लिया कि नए चुनाव कराना ही बेहतर होगा.
‘टाइम्स ऑफ इजराइल’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बेनेट को सत्ता इसलिए गंवानी पड़ी, क्योंकि वो नेतन्याहू के तरह गठबंधन चलाना नहीं जानते थे. बेनेट की सरकार ऐसे वक्त गिरी जब ईरान की तरफ से इजराइल को गंभीर नतीजों की धमकी दी है. अब बेनेट सरकार में विदेश मंत्री रहे येर लैपिड कार्यवाहक प्रधानमंत्री बनेंगे, लेकिन उनके पास एक नियुक्त पीएम की तरह शक्तियां नहीं हैं. इससे बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा, क्योंकि इजराइल में देश की सुरक्षा और शासन व्यवस्था के लिए एक अलग व्यवस्था है.
नेतन्याहू फिर बनेंगे PM
इजराइली मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, चुनाव इसी साल 25 अक्टूबर या 1 नवंबर को हो सकते हैं. माना ये जा रहा है कि पूर्व प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की पार्टी सत्ता में वापसी कर सकती है. हालांकि, उसे अकेले के दम पर स्पष्ट बहुमत मिलने की संभावना कम है. इसलिए बहुत मुमकिन है कि नेतन्याहू प्री या पोस्ट पोल अलायंस के तहत सरकार बनाएं. बेनेट के अलायंस में दक्षिणपंथी पार्टियों के साथ ही लिबरल और अरब पार्टीज भी शामिल थीं और ये शुरू से लग रहा था कि इस अलायंस का लंबा चलना मुश्किल है.
नेतन्याहू ने बताया था सबसे घटिया सरकार
नेतन्याहू ने पिछले दिनों एक इंटरव्यू में कहा था- ‘बेनेट सरकार इजराइल के इतिहास की सबसे घटिया और कमजोर सरकार थी. मैं उम्मीद करता हूं कि जब भी नए चुनाव होंगे तो मेरी पार्टी को क्लियर मेजॉरिटी मिलेगी और हम अपने देश को तेजी से आगे ले जाएंगे. वैसे, नेतन्याहू के साथ भी दिक्कतें कम नहीं हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि उनके खिलाफ करप्शन केस चल रहा है. हालांकि, वो तमाम आरोपों से इनकार कर चुके हैं और कोर्ट ने भी माना है कि नेतन्याहू के खिलाफ पेश सबूत बहुत भरोसेमंद नहीं हैं.
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