नई दिल्ली: उद्धव ठाकरे के अच्छे राजनीतिक भविष्य को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से महाराष्ट्र में एक राजनीतिक ‘तख्तापलट’ के साथ, भारतीय जनता पार्टी को 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले अपने प्रतिद्वंद्वियों पर बढ़त मिल गई है. अब वह उत्तर प्रदेश, बिहार और महाराष्ट्र जैसे देश के तीन बड़े राज्यों में एक साथ सत्ता में है. ये तीनों राज्य मिलकर कुल 168 सांसद लोकसभा में भेजते हैं. बीजेपी के सूत्रों ने बताया कि पार्टी के पास महाराष्ट्र के लिए एक ‘मेगा डेवलपमेंट प्लान’ तैयार है, जिसमें 2024 में अटकी हुई बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को पुनर्जीवित करना शामिल है.
भाजपा 2024 में मतदाताओं के सामने महाराष्ट्र से उत्तर प्रदेश तक फैले विकास के अपने अखिल भारतीय मॉडल को शोकेस करेगी. उद्धव ठाकरे के स्पष्ट संदर्भ में पार्टी सूत्रों ने कहा कि यह ‘तख्तापलट’ मौजूदा भाजपा शासन के एक प्रमुख सिद्धांत को भी रेखांकित करता है, जिसमें ‘पीठ में छुरा घोंपने वालों’ को पनपने का दूसरा मौका नहीं देना और उन पर कड़ा प्रहार करना शामिल है. भाजपा के लिए एक ही समय में यूपी, महाराष्ट्र और बिहार में सत्ता में रहना 2024 के संसदीय चुनावों से पहले, 2019 की स्थिति की पुनरावृत्ति है, जब तीनों बड़े राज्यों में एनडीए की सरकार थी और इन राज्यों की 168 लोकसभा सीटों में से 144 पर जीत हासिल की थी.
भाजपा के लिए 2019 लोकसभा चुनाव के समय की पुनरावृत्ति
इस तरह 2019 के लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने रिकॉर्ड 352 सीटें हासिल की थीं. 2019 से पहले, भाजपा ने 2017 में बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनाई थी, जब जदयू ने लालू प्रसाद यादव की राजद के साथ गठबंधन तोड़ लिया था. उस साल यूपी में भी बीजेपी लंबे अंतराल के बाद सत्ता में आई थी. 2019 के विधानसभा चुनावों के बाद गठबंधन से बाहर होने से पहले शिवसेना के साथ महाराष्ट्र में उसकी सरकार थी.
ज्यादा समय टिकते नहीं हैं अप्राकृतिक राजनीतिक गठजोड़
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘विरोधाभासी राजनीतिक विचारधाराओं के साथ अप्राकृतिक राजनीतिक गठजोड़ टिकते नहीं हैं. नीतीश कुमार और लालू प्रसाद ने 2015 में बिहार में इसे आजमाया, राज्य का चुनाव जीता, लेकिन नीतिश कुमार के राजग में लौटने के साथ गठबंधन टूट गया. इसी तरह महाराष्ट्र में कांग्रेस और राकांपा के साथ शिवसेना का गठबंधन अवसरवादी था, जिसने हिंदुत्व के मूल मुद्दे पर शिवसेना को फंसाया और पार्टी के 55 में से 39 विधायकों ने उद्धव का साथ छोड़ दिया.’
‘शीर्ष भाजपा नेतृत्व उद्धव ठाकरे को कभी माफ नहीं करेगा’
जहां कुछ अटकलें थीं कि भाजपा फिर से शिवसेना के साथ सरकार बनाने के लिए तैयार हो सकती है, भगवा पार्टी के सूत्रों का कहना है कि ऐसा विचार भाजपा के एजेंडे में कभी नहीं था. वास्तव में, भाजपा ने हमेशा यह कहा कि पिछले महाराष्ट्र चुनावों में जनादेश शिवसेना के साथ उसके गठबंधन को था. भाजपा-शिवसेना के चुनाव पूर्व गठबंधन को महाराष्ट्र की जनता ने 2019 के चुनावों में आसानी से बहुमत के आंकड़े तक पहुंचाया था. सूत्रों का कहना है कि शीर्ष भाजपा नेतृत्व, पार्टी को धोखा देकर कांग्रेस और राकांपा के साथ जाने के लिए ‘उद्धव ठाकरे को कभी माफ नहीं करेगा.’
शिवसेना में बगावत का असर BMC चुनाव परिणाम पर पड़ेगा
शिवसेना के 39 विधायकों के अलग होने से अब उद्धव ठाकरे के राजनीतिक भविष्य, पार्टी के चिन्ह और नाम पर उनकी पकड़ को लेकर एक महत्वपूर्ण सवालिया निशान लग गया है. इसके बाद के प्रभाव आने वाले समय में बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) के चुनाव में दिखाई देंगे, जिस पर दशकों से शिवसेना का कब्जा रहा है. फिलहाल उद्धव ठाकरे के राजनीतिक भविष्य को गुमनामी की धकेलने के साथ भाजपा ने 2019 का बदला ले लिया है.
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