मुंबई। महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे की नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी सरकार (maha vikaas aghaadee sarakaar) इन दिनों सियासी संकटों का सामना कर रही है। एक तरफ जहां एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) की अगुवाई में बागी विधायकों का बड़ा जमावड़ा गुवाहाटी (Guwahati) के एक फाइव स्टार होटल में लगा हुआ है तो दूसरी ओर मुंबई उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) भी पीछे हटने को तैयार नहीं है। अब माना जा रहा है कि मध्यप्रदेश का सियासी चैप्टर महाराष्ट्र में दोहराया जा रहा है। साल 2020 में जिस तरह ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) के साथ 22 विधायकों ने कांग्रेस से बगावत की विधायक भोपाल से बेंगलुरु शिफ्ट किए गए ठीक वैसा ही सीन अब महाराष्ट्र में भी देखा जा रहा है।
आपको बता दें कि महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे की नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी सरकार इन दिनों सियासी संकटों का सामना कर रही है। एकनाथ शिंदे की अगुवाई में बागी विधायकों का बड़ा जमावड़ा गुवाहाटी के एक फाइव स्टार होटल में लगा हुआ है इनमें से करीब 16 विधायकों को विधानसभा के डिप्टी स्पीकर ने नोटिस जारी किया है, जिसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। इस मामले पर आज सुनवाई होनी है।
बता दें कि मध्यप्रदेश में सिंधिया की बगावत के बाद कमलनाथ सरकार बचाने के लिए सोनिया गांधी ने राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा को जिम्मेदारी दी थी, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। सिंधिया अपने समर्थकों के साथ पार्टी छोड़कर BJP में जाने की कवायद कर चुके थे। महाराष्ट्र में शिंदे भी कुछ इसी तरह के पॉलिटिकल ड्रामे को अंजाम दे रहे हैं।
इसी तरह एकनाथ शिंदे गुट का दावा है कि उनके साथ 50 से अधिक विधायक हैं। इनमें से शिवसेना करीब 40 विधायक हैं। अघाड़ी सरकार ने इनमें से 16 विधायकों के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी कर ली है। डिप्टी स्पीकर ने इन्हें नोटिस भेजा है। जवाब दाखिल करने की अंतिम तारीख आज ही है। शिवसेना और शिंदे गुट की नजर आज सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर होगी।
महाराष्ट्र के इन तमाम सियासी घटनाक्रम में बीजेपी की भूमिका पर भी सवाल उठना लाजमी है। इसका प्रमुख कारण बागी विधायकों का बीजेपी शासित राज्य गुवाहाटी में डेरा जमाना है। साथ ही कल देर रात महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के आवास पर बीजेपी के विधायक और विधान परिषद के सदस्यों का पहुंचने का सिलसिला जारी रहा। बैठकों का दौर चला।
आपको बता दें कि एकनाथ शिंदे की अगुवाई में शिवसेना के बागी विधायक लगातार पार्टी पर दावा ठोक रहे हैं। उनका कहना है कि वे बालासाहेब ठाकरे के सिद्धांतों पर चलने वाले शिवसैनिक हैं। शिवसेना पर अधिकार पाने की राह बागियों के लिए आसान नहीं है। ऐसे हालात में ये विधायक विधानसभा में एक अलग गुट की दावेदारी पेश कर सकते हैं। इसके बाद भाजपा के साथ समझौता कर सरकार बना सकते हैं। अगर इन्हें इसमें भी असफलता मिलती है तो इनके पास इस्तीफा देने के अलावा कोई चारा नहीं बचेगा।
एकनाथ शिंदे के साथ विधायकों को देखने से पता चलता है कि शिवसेना के भीतर बागी नेता का जुड़ाव कितना मजबूत है और उद्धव ठाकरे को अपनी पार्टी के पुनर्निर्माण के लिए कितना प्रयास करना होगा। शिवसेना के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि पार्टी के लिए मुख्य चिंता यह है कि अधिकांश विद्रोही न केवल अपने निर्वाचन क्षेत्रों में एक ताकत हैं, बल्कि जिलों में पार्टी को मजबूत करने में एक प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं।
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