जोधपुर । राजस्थान (Rajasthan) के सीएम अशोक गहलोत के गृह नगर में पश्चिमी राजस्थान के सबसे बड़े हॉस्पिटल में बड़ी लापरवाही सामने आई है. मथुरा दास माथुर अस्पताल (Mathura Das Mathur Hospital) में इलाज के दौरान दम तोड़ने वाले एक युवक का शव (dead body) मोर्चरी से ही गायब हो गया. बासनी पुलिस उसके परिजन को लेकर मोर्चरी पहुंची, लेकिन मोर्चरी में शव ही नहीं था. इसके बाद पुलिस वापस लौट गई. कलेक्टर हिमांशु गुप्ता ने एसडीएम को मौके पर भेजा और जांच के आदेश दिए.
जालौर जिले के भवरानी गांव के भेराराम बासनी इलाके में काम करता था. 21 जून को उसकी तबीयत खराब हुई तो 108 एंबुलेंस से उसे मथुरादास माथुर अस्पताल भेजा गया. उस समय अज्ञात के रूप में उसका एडमिशन फॉर्म भरकर उसे भर्ती कर लिया गया. 24 जून को उसकी मौत हो गई. इसके बाद जानकारी जुटाने के बाद पुलिस ने उसके भाई को 25 जून की शाम तक सूचना दी. रविवार सुबह उसका भाई भूराराम शव लेने मोर्चरी पहुंचा, लेकिन मोर्चरी में शव नहीं था. उसके समाज के कई लोग इकठ्ठा हो गए, जिन्होंने इस लापरवाही के लिए नाराजगी जताई. इस मामले की शिकायत उपखंड अधिकारी को सौंपी है.
अस्पताल प्रशासन ने मामले की जांच के लिए कमेटी बनाई है. अधीक्षक डॉ. विकास राजपुरोहित ने बताया कि फोरेंसिक विभाग के विभागाध्यक्ष, अस्पताल उपाधीक्षक और सर्जन को कमेटी में शामिल किया गया है. एसडीएम सुरेंद्र सिंह राजपुरोहित ने बताया कि जालोर निवासी भेराराम 21 जून को अस्पताल में भर्ती हुआ था. उसकी 23 जून को मृत्यु हो गई थी. इसके बाद उसका शव मोर्चरी में रखवाया गया था. भेराराम के भाई ने शिकायत की है कि उन्हें शव नहीं मिला. इस मामले की जांच करवा रहे हैं.
मोर्चरी के कर्मचारियों ने बताया कि भेराराम के साथ ही अपना घर से आए एक व्यक्ति का भी शव रखा गया था. दोनों अज्ञात थे. अपना घर से आए शव की पहचान के लिए एक महिला शनिवार को मोर्चरी पहुंची. उसने भैराराम के शव को अपना परिजन बताकर शिनाख्त कर दी. महिला के कहने पर शव हिंदू सेवा मंडल भेजकर उसका अंतिम संस्कार करवा दिया. शव की शिनाख्ती के समय किसी जिम्मेदार ने ध्यान नहीं दिया, जिसकी वजह से यह लापरवाही हुई. अपना घर से आया शव अभी भी मोर्चरी में रखा है.
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