उज्जैन। कागजों में भले ही बाल श्रमिक शहर में काम नहीं करते हैं लेकिन सर्वे किया जाए तो हर तीसरी दुकान में आपको बाल श्रमिक काम करते दिख जाएंगे। इतना ही नहीं शहर के कई चौराहों पर बच्चे भीख मांगते भी दिखाई दे रहे हैं लेकिन शहर का श्रम विभाग इस पर बिल्कुल ध्यान नहीं दे रहा है। सालों में कभी रेस्क्यू ऑपरेशन भी श्रम विभाग ने नहीं चलाया। मध्यप्रदेश में राष्ट्रीय बाल आयोग द्वारा एक सर्वे में 7 लाख से अधिक बाल श्रमिक काम कर रहे हैं वहीं बात उज्जैन की करें तो यहां होटलों पर, बेकरी में और अन्य संस्थानों में बाल श्रमिकों से काम लिया जा रहा है।
हर तीसरे संस्थान में बाल श्रमिक आपको काम करते हुए मिल जाएंगे लेकिन आंखें मूंदे बैठे श्रम विभाग को कहीं भी बाल श्रमिक दिखाई नहीं दे रहे हैं। इतना ही नहीं श्रम विभाग के निरीक्षकों ने उज्जैन का वर्षों कभी सर्वे ही नहीं किया और ना ही श्रम कर रहे बच्चों को कभी रेस्क्यू कराया। धार्मिक नगरी उज्जैन में महाकाल मंदिर के बाहर हरसिद्धि और काल भैरव के आसपास बड़ी संख्या में बच्चे भीख मांगते हुए दिखाई देंगे लेकिन यह श्रम विभाग को दिखाई नहीं देते हैं। उज्जैन में करीब 3000 से अधिक बच्चे फैक्ट्री में काम कर रहे हैं या किसी संस्थान में काम करते हैं और इसके अलावा चौराहों पर भीख भी मांग रहे हैं। बाल श्रमिक के मामले में यह कानून है कि इस संस्थान में और काम कर रहे हैं। उस संस्थान के मालिक पर भी कार्रवाई होती है लेकिन उज्जैन में यह कार्रवाई नहीं हो रही है।
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