साबरकांठा: आजकल सरपंच (Sarpanch) से लेकर मंत्री तक हर किसी के पास गाड़ियां होती हैं. कोई छोटी गाड़ी से चलता है तो किसी के पास महंगी लग्जरी कारें (expensive luxury cars) हैं. कुछ विधायकों को लाखों की सैलरी-पेंशन भी कम लग रही है, लेकिन गुजरात के पूर्व विधायक जेठाभाई राठौड़ (Jethabhai Rathod, former MLA from Gujarat) की कहानी सुन आप हैरान रह जाएंगे. उन्हें न पेंशन मिल रही है और न ही सरकार की तरफ से खास मदद.
गुजरात के साबरकांठा जिले (Sabarkantha district of Gujarat) के छोटे से गांव टेबड़ा के रहने वाले जेठाभाई राठौड़ ने 1967 में खेड़ब्रम्हा विधानसभा (Khedbramha Assembly) में कांग्रेस के सामने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर 17,000 वोटों से जीत हासिल की थी. उस समय उन्होंने साइकिल से चुनाव प्रचार किया था. लोग कहते हैं कि जेठाभाई उस समय खेड़ब्रम्हा से गांधीनगर सरकारी बस से ही जाते थे. पांच वर्षों में स्थानीय इलाकों सहित पूरी विधानसभा में साइकिल से यात्रा करने वाले यह विधायक जनता के सुख-दुख में भागीदार बने रहे, लेकिन फिर भी सरकार की ओर से उन्हें कोई मदद नहीं मिल रही है.
पेंशन को लेकर जेठाभाई ने कोर्ट में न्याय मांगा था. लंबे समय तक लड़ाई लड़ने के बाद कोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया था, इसके बाद भी आज तक पेंशन नहीं मिली. जेठाभाई के पांच बेटे और उनका परिवार है, जो मजदूरी कर अपना जीवन यापन करता है. पूरा परिवार BPL राशन कार्ड के सहारे अपना जीवन यापन करने मजबूर है. लोगों का कहना है कि जिस विधायक ने बुरे समय में जनता के आंसू पोंछे, आज उनके आंसू पोंछने वाला कोई नहीं है. अब परिवार सरकार से गुहार लगा रहा है कि उनकी मदद की जाए.
वर्तमान समय में सरपंच तक शानदार जिंदगी जीते हैं. एक विधायक की एक महीने की सैलरी 2 लाख से 2.5 लाख रुपए तक है. ऐसे में 5 साल के कार्यकाल में करीब 12 करोड़ रुपए बनते हैं, लेकिन गुजरात के एक पूर्व विधायक जेठाभाई राठौड़ की दयनीय स्थिति को देखते हुए कई सवाल उठते हैं.
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