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राणौजी की छत्री पर खर्च किए थे 3 करोड़, उखाड़ ले गए फर्शियाँ और सामान..यह हाल हैं उज्जैन के

June 23, 2022

  • 14 करोड़ शहर में बनी रोटरियों पर खर्च हो गए थे सिंहस्थ के दौरान
  • छत्री के मुख्य भाग से लेकर अंदर परिसर तक लगे लाल पत्थर बच नहीं पाए

उज्जैन। पिछले सिंहस्थ में राज्य सरकार ने ब्रिज, सड़क व अन्य निर्माणों और सौंदर्यीकरण कार्यों के लिए 5 हजार करोड़ का बजट मंजूर किया था। इसमें से शहर के 11 स्थानों पर बनी रोटरियों पर 14 करोड़ खर्च कर सौंदर्यीकरण किया गया था। इसी के साथ शिप्रा तट स्थित प्राचीन राणौजी की छत्री का भी जीर्णोद्धार पौने 3 करोड़ की लागत से कराया गया था। इन पर लगे नक्काशीदार लाल पत्थर लगातार टूटते जा रहे हैं और इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा। उल्लेखनीय है कि सिंहस्थ 2016 में राज्य शासन ने 5 करोड़ श्रद्धालुओं के आगमन को देखते हुए शहर में निर्माण और सौंदर्यीकरण के कार्य कराए थे। इसके लिए शासन ने 5 हजार करोड़ रुपए की राशि मंजूर की थी। शहर में 11 प्रमुख स्थानों और चौराहों पर सुंदर रोटरियाँ बनाई गई थी। इन रोटरियों को डिवाइडरों के साथ सुंदरता देने के लिए राजस्थान से लाल पत्थर मंगवाए गए थे। रोटरियों के निर्माण और सौंदर्यीकरण पर संबंधित विभागों ने 14 करोड़ रुपए खर्च किए थे। उसी दौरान रामघाट के समीप स्थित प्राचीन सिंधिया कालीन राणौजी की छत्री की ऐतिहासिक इमारत का भी जीर्णोद्धार कराया गया था। इसके लिए 2 करोड़ 64 लाख के करीब राशि का बजट शासन ने मंजूर किया था और साल 2015 से ही इसके सौंदर्यीकरण का काम शुरु कर दिया गया था।


राणौजी की छत्री के मुख्य प्रवेश भाग की प्रथम तथा द्वितीय तल पर टूट चुके पत्थरों से बने प्राचीन कंगूरे, पत्थर की नक्काशीदार गैलरियाँ और यहाँ बने शिखरों के जीर्णोद्धार का काम बारिकी से शुरु किया गया था। इसके लिए पत्थरों पर नक्काशी का काम करने वाले राजस्थान सहित विभिन्न प्रांतों से कारीगरों को बुलाया गया था और पुरानी पद्धति के अनुसार ही नए सिरे से यहाँ लाल पत्थरों को लगाया गया था और छत्री के मुख्य भाग से लेकर अंदर परिसर तक में पूर्व से मौजूद टूट चुके स्थानों को फिर से लाल पत्थरों का उपयोग कर बनवाया गया था। यह काम लगभग 18 महीने चला था और सिंहस्थ के दौरान पूरा राणौजी की छत्री का परिसर बेहद सुंदर नजर आने लगा था। परिसर में भी अन्य छतरियाँ और उनके गुंबदों की टूट फूट को नए लाल पत्थरों से दुरुस्त किया गया था। पेड़ पौधों के लिए बनी क्यारियों के आसपास भी लाल पत्थरों की मुंडेर बनाई गई थी। इसके अलावा परिसर में भी पहले जहाँ प्राचीन पत्थर लगे थे और जो टूट फूट गए थे उन्हें भी बदला गया था। मुख्य द्वार से ऊपर की ओर जाने वाली पत्थरों से निर्मित प्राचीन सीढिय़ों को भी नए सिरे से संधारित किया गया था और यहाँ पर भी कई सीढिय़ों के पत्थरों को बदलकर जहाँ काले पत्थर लगे थे वहाँ काले और जहाँ लाल पत्थरों का उपयोग हुआ था वहाँ लाल पत्थर लगवाए गए थे। इसके बाद राणौजी की छत्री का प्राचीन वैभव पिछले सिंहस्थ में फिर से लौट आया था लेकिन इसके बाद से लगातार इसकी अनदेखी होती रही और अब समय पर सुधार और संधारण नहीं होने के कारण यहाँ सौंदर्यीकरण के लिए लगाए गए पत्थर, फर्शियाँ, रैलिंग से लेकर परिसर में लगे पत्थर भी दरकते जा रहे हैं। कुछ पत्थर तो यहाँ से टूटने के बाद गायब भी हो गए हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा था संभाल कर रखना धरोहरें
पिछली बार सिंहस्थ मेले के समापन अवसर पर मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने संतों की मौजूदगी में निरंजनी अखाड़े के मंच से संबोधित करते हुए सभी विभाग के अधिकारियों से साफ कहा था कि उज्जैन में सिंहस्थ का आयोजन सफल रहा है और सरकार ने जो 5 हजार करोड़ रुपए की राशि शहर में सैकड़ों सड़कें नई बनाने, 12 नए ओव्हर ब्रिज बनाने, 8 किलोमीटर लंबे शिप्रा के नए घाट बनाने, शहर में 11 नई रोटरियाँ बनाने, राणौजी की छत्री का प्राचीन वैभव वापस लौटाने पर खर्च की गई करोड़ों की राशि बेकार न जाए इसका अधिकारी ध्यान रखे। उन्होंने कहा था कि सिंहस्थ निपटने के बाद भी इनका इसी तरह से ध्यान रखा जाए ताकि उज्जैन की प्राचीन इमारतें और नए निर्माण यथावत बने रहे, परंतु सिंहस्थ के 6 साल बाद अब अधिकारी यह सब भूल बैठे हैं और करोड़ों के निर्माणों की ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा।

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