नई दिल्ली। जीएसटी (GST) के कड़े प्रावधानों (stringent provisions) का सामना कर रहे ई-कॉमर्स सप्लायर्स (e-commerce suppliers) को जल्द ही राहत मिलने की उम्मीद दिख रही है। दावा किया जा रहा है कि अगले सप्ताह चंडीगढ़ में होने वाली जीएसटी काउंसिल की बैठक (gst council meeting) में ई-कॉमर्स सप्लायर्स से जुड़े नियमों में कुछ ढील दी जा सकती है। बताया जा रहा है कि बैठक के एजेंडे में इस मसले को चर्चा के प्रमुख विषयों में शामिल किया गया है।
जीएसटी काउंसिल से जुड़े जानकारों के मुताबिक काउंसिल की बैठक में सरकार की ओर से नेशनल एंटी प्रॉफिटियरिंग अथॉरिटी (एनएए) के कामकाज से संबंधित तथा काउंसिल के सामने पेश की गई अभी तक की मांगों के संबंध में एक बहुस्तरीय रिपोर्ट भी पेश की जा सकती है।
बताया जा रहा है कि सरकार की ओर से एनएए का कंपटीशन कमीशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) में विलय किए जाने के प्रस्ताव की भी जीएसटी काउंसिल की बैठक में चर्चा की जा सकती है। केंद्र सरकार ने पहले ही एनएए का सीसीआई में विलय करने का प्रस्ताव पेश किया था। अगर नेशनल एंटी प्रॉफिटियरिंग अथॉरिटी का कंपटीशन कमिशन ऑफ इंडिया में विलय कर दिया जाता है, तो एनएए के सभी पेंडिंग पड़े मामलों की जांच और उन पर फैसला लेने का अधिकार कंपटीशन कमिशन ऑफ इंडिया के पास चला जाएगा।
जानकारों के मुताबिक पिछले महीने के अंत तक नेशनल एंटी प्रॉफिटियरिंग अथॉरिटी के पास 400 से अधिक मामले पेंडिंग पड़े थे। इतनी बड़ी संख्या में मामलों के पेंडिंग होने की वजह से सीसीआई ने विलय प्रस्ताव का प्रारंभिक स्तर पर विरोध भी किया था। बताया जा रहा है कि इसी वजह से सरकार की ओर से अथॉरिटी को जल्द से जल्द और ज्यादा से ज्यादा पेंडिंग मामलों को निपटा लेने का निर्देश दिया गया है, ताकि अगर इसका कंपटीशन कमीशन ऑफ इंडिया में विलय होता है तो इसके पेंडिंग कामों का ज्यादा बोझ सीसीआई पर ना पड़े। (एजेंसी, हि.स.)
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