नई दिल्ली । आरएसएस और बीजेपी (RSS and BJP) के कद्दावर नेता रहे (Be a Strong Leader) यशवंत सिन्हा (Yashwant Sinha) को विपक्ष (Opposition) ने राष्ट्रपति चुनाव में (In Presidential Election) अपना उम्मीदवार (Candidate) बनाया है। जयराम रमेश (Jairam Ramesh) ने इसका ऐलान किया (Announced) । 27 जून को यशवंत सिन्हा राष्ट्रपति पद के लिए अपना नामांकन दाखिल करेंगे ।
राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार पर फैसला करने के लिए आयोजित बैठक में विपक्षी नेताओं ने उनके नाम पर सहमति जताई। सिन्हा का नाम पवार, गोपालकृष्ण गांधी और फारूख अब्दुल्ला के राष्ट्रपति पद के चुनाव की दौड़ से बाहर होने के बाद सामने आया। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने संयुक्त विपक्ष की तरफ से कहा कि मोदी सरकार ने राष्ट्रपति उम्मीदवार को लेकर आम सहमति बनाने के लिए कोई गंभीर प्रयास नहीं किया। इस वजह से संयुक्त विपक्ष यशवंत सिन्हा को उम्मीदवार बना रहा है।
रमेश ने विपक्ष के इस चुनाव की वजहें बताते हुए कहा कि यशवंत सिन्हा एक विशेष रूप से योग्य प्रत्याशी होंगे। वे भारत के धर्मनिरपेक्षता और लोकतांत्रिक ताने-बाने को मानने वाले व्यक्ति हैं। कांग्रेस नेता ने कहा कि हमें दुख है कि मोदी सरकार अब तक राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार पर एकराय बनाने के लिए गंभीर नहीं हो सकी है। गौरतलब है कि सिन्हा का नाम पवार, गोपालकृष्ण गांधी और फारूक अब्दुल्ला के राष्ट्रपति पद के चुनाव की दौड़ से बाहर होने के बाद सामने आया।
शरद पवार के आवास पर बुलायी गयी विपक्षी दलों की बैठक में सर्वसम्मति से मंगलवार को यह फैसला लिया गया । शरद पवार ने बताया कि 27 जून को 11:30 बजे यशवंत सिन्हा राष्ट्रपति पद के लिए अपना नामांकन दाखिल करेंगे । उन्होंने कहा कि सर्वसम्मति से यशवंत सिन्हा को आगामी राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्षी दलों का उम्मीदवार चुना गया है । विपक्षी दलों की बैठक से पहले सोमवार की रात को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी ने यशवंत सिन्हा के नाम का प्रस्ताव किया था।
विपक्षी पार्टियों की बैठक में कांग्रेस, राकांपा, तृणमूल, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), समाजवादी पार्टी, नेशनल कॉन्फ्रेंस, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम), राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और असम यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) के प्रतिनिधि शामिल हुए। बैठक में शामिल होने वालों में कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़गे और जयराम रमेश, तृणमूल कांग्रेस के अभिषेक बनर्जी, द्रमुक के तिरुचि शिवा, माकपा के सीताराम येचुरी और भाकपा के डी राजा शामिल थे।
पांच क्षेत्रीय दल – तेलगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस), बीजु जनता दल (बीजेडी), आम आदमी पार्टी (आप), शिरोमण अकाली दल (शिअद) और युवाजन श्रमिक रायथू कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) इस बैठक से दूर रहे। इन पार्टियों को किसी भी धड़े में नहीं माना जाता। ये पार्टियां पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा बुलाई गई 15 जून की बैठक से भी दूर रही थीं।
तृणमूल कांग्रेस के नेता यशवंत सिन्हा ने मंगलवार को पार्टी छोड़ने का एलान करते हुए कहा कि अब वह वृहद विपक्षी एकता के व्यापक राष्ट्रीय उद्देश्य के लिए काम करेंगे। सिन्हा ने ट्वीट किया, ममता जी ने जो सम्मान मुझे तृणमूल कांग्रेस में दिया, मैं उसके लिए उनका आभारी हूं। अब समय आ गया है जब वृहद विपक्षी एकता के व्यापक राष्ट्रीय उद्देश्य के लिए मुझे पार्टी से अलग होना होगा। मुझे यकीन है कि वह (ममता) इसकी इजाजत देंगी। कई दिनों से ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख एवं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पूर्व केंद्रीय मंत्री सिन्हा का नाम आगामी राष्ट्रपति चुनाव में संयुक्त विपक्षी उम्मीदवार के रूप में पेश करेंगी।
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