नई दिल्ली। वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (VPN) को लेकर नया कानून जून के आखिरी सप्ताह से लागू हो रहा है। नए कानून के विरोध में नॉर्ड वीपीन जैसी कई बड़ी कंपनियों ने भारत को छोड़ने का एलान किया है और अब इसी बीच सरकार ने आदेश जारी करके कहा है कि सरकारी कर्मचारी गूगल ड्राइव (Google Drive) और Dropbox जैसे गैर-सरकारी क्लाउड सर्विस का इस्तेमाल ना करें। सरकारी कर्मचारियों को VPN इस्तेमाल करने से भी मना किया गया है।
सरकार (government) की ओर से 10 पन्नों की रिपोर्ट में NordVPN, ExpressVPN, Tor और proxies वीपीएन को इस्तेमाल करने से मना किया गया है। इसके अलावा रिमोट कंट्रोल वाले एप्स जैसे TeamViewer, AnyDesk और Ammyy Admin के इस्तेमाल की भी मनाही है।
सभी सरकारी दफ्तरों को सभी सिस्टम के पासवर्ड को बदलने का आदेश दिया गया है। इसके अलावा सभी कंप्यूटर के फर्मवेयर को भी अपडेट करने का आदेश दिया गया है। यदि आदेश सभी सरकारी कर्मचारियों (government employees) के लिए जारी किया गया है जिनमें स्थायी, अस्थायी, संविदा आदि के कर्मचारी शामिल हैं। यह आदेश 10 जून को NIC और CERT-In की ओर से जारी किया गया है।
VPN को लेकर सरकार ने क्या कहा है?
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (Ministry of Information Technology) की एजेंसी सीईआरटी ने पिछले हफ्ते अपने एक आदेश में कहा है कि वीपीएन सेवा प्रदाताओं को अपने उपयोगकर्ताओं के नाम, ईमेल आईडी और आईपी एड्रेस सहित अन्य डाटा को पांच साल या उससे अधिक समय तक सेव करके रखना होगा। आदेश में कहा गया है कि यदि किसी कारणवश से किसी वीपीएन कंपनी का रजिस्ट्रेशन रद्द होता तो उसके बाद भी उसे डाटा मांगा जा सकता है। सीधे शब्दों में कहें तो किसी वीपीएन कंपनी के बंद या बैन होने के बाद भी उसे सरकार को डाटा देना होगा। VPN को लेकर नया कानून 28 जून 2022 से लागू हो रहा है। आदेश में यह भी कहा गया है कि सभी सेवा प्रदाताओं को अपने सिस्टम में अनिवार्य रूप से लॉगिन की सुविधा देनी चाहिए।
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