इंदौर, राजेश ज्वेल। 2035 के मास्टर प्लान की कवायद चल रही है, जिसके चलते निवेश क्षेत्र में शामिल किए गए 79 गांवों में विकास अनुमतियां रोकी गई हैं, जिसके चलते शासन के नगरीय विकास एवं आवास मंत्रालय ने अधिनियम की धारा 16 के तहत विकास अनुमतियां देने के संबंध में एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किए हैं। भोपाल के बाद इंदौर ऐसा दूसरा शहर है जहां इस तरह के प्रावधान लागू किए गए हैं, जो नए मास्टर प्लान के अमल में आने तक प्रभावी रहेंगे। 79 गांवों में अब न्यूनतम 4 हेक्टेयर यानी 10 एकड़ जमीन पर ही विकास अनुमति दी जाएगी। वहीं फार्म हाउस के लिए एक एकड़ का न्यूनतम क्षेत्रफल भी जरूरी रहेगा, तो भंडार भवन से लेकर अन्य अनुमतियों के लिए भी दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। नगर तथा ग्राम निवेश इंदौर के दफ्तर में आवेदन मय दस्तावेजों के प्रस्तुत करने के बाद फाइल भोपाल जाएगी और वहां से अनुमोदन के पश्चात ही इंदौर दफ्तर अभिन्यास जारी करेगा।
इंदौर का मास्टर प्लान 31 दिसम्बर 2021 तक के लिए बनाया गया था, जो नए मास्टर प्लान के अमल में आने तक लागू रहेगा। अब जो नया मास्टर प्लान बनाया जा रहा है वो 2035 तक की आबादी और आवश्यकता के मुताबिक तैयार हो रहा है, जिसमें 79 गांव निवेश क्षेत्र में और जोड़े गए हैं, जहां पर पिछले दिनों कलेक्टर मनीष सिंह ने अनुमतियों पर रोक लगा दी थी, क्योंकि धड़ाधड़ अभिन्यास मंजूर होने लगे। नतीजतन शहरी सीमा से बाहर यानी पंचायत क्षेत्रों में ही अधिकांश रियल इस्टेट के प्रोजेक्ट आ रहे हैं और उन्हें अनुमतियां नहीं मिल पा रही थी, जिसके चलते शासन ने भोपाल की तर्ज पर नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम की धारा 1973 के तहत धारा 16 के प्रावधानों को लागू किया है, जिसमें वन क्षेत्र, ढलान 10 प्रतिशत से अधिक होने, नाले से 9 मीटर के भीतर या कान्ह, सरस्वती, क्षिप्रा नदी से 33 मीटर के भीतर अथवा तेल भंडारण डिपो से 500 मीटर की दूरी, यशवंत सागर या ऐसे तालाबों के कैचमेंट क्षेत्र में स्थित जमीनें अथवा जहां तक पहुंचने के लिए 12 मीटर चौड़ाई की सडक़ उपलब्ध न हो, वहां पर विकास अनुमति नहीं मिलेगी।
इसी तरह 4 हेक्टेयर से कम जमीन होने पर भी विकास अनुज्ञा का आवेदन मंजूर नहीं होगा और यह जमीन भी क्लीयर होना चाहिए। नगरीय विकास एवं आवास विभाग के प्रमुख सचिव मनीष सिंह ने धारा 16 के प्रावधानों के लिए आदेश जारी किया है, जो कि इंदौर के नए मास्टर प्लान के अमल में आने तक लागू रहेंगे और इसी के तहत नगर तथा ग्राम निवेश द्वारा अभिन्यास मंजूर किए जाएंगे। दरअसल, इंदौर में बीते कुछ महीनों से नए निवेश क्षेत्र में रियल इस्टेट के प्रोजेक्ट मंजूर नहीं हो पा रहे थे, मगर अब इस शासन आदेश और उसमें किए गए प्रावधानों के अनुरूप प्रोजेक्टों को मंजूरी मिल सकेगी। नगर तथा ग्राम निवेश के संयुक्त संचालक एसके मुद्गल के मुताबिक शासन ने विकास अनुज्ञा के लिए प्रस्तुत आवेदन के निराकरण की भी प्रक्रिया निर्धारित कर दी है।
प्रोजेक्टों के लिए 2 एकड़ जमीन की रहेगी अनिवार्यता
एक तरफ शासन ने नए निवेश क्षेत्र के लिए 4 हेक्टयर यानी 10 एकड़ नेट प्लानिंग एरिया का निर्धारण किया, तो भूमि विकास नियम-2012 के तहत फार्म हाउस के लिए एक एकड़ जमीन के साथ ही भंडार भवन यानी वेयर हाउसिंग के लिए भी 2 एकड़ क्लीयर जमीन के अलावा 18 मीटर चौड़ाई का पहुंच मार्ग भी होना चाहिए। अधिकतम निर्मित क्षेत्र 40 प्रतिशत तथा एफएआर 0.4 रहेगा।
4 हेक्टेयर का नेट प्लानिंग एरिया एक ही चक में जरूरी
4 हेक्टेयर से कम जमीन पर विकास अनुज्ञा का आवेदन स्वीकार नहीं किया जाएगा। रोड वाइंडिंग के बाद नेट प्लानिंग एरिया 4 हेक्टेयर यानी 10 एकड़ का होना चाहिए। यानी पूरी जमीन एक चक में ही रहेगी। अगर एक ही जमीन मालिक के पास इतना न्यूनतम क्षेत्रफल नहीं है तो एक से अधिक भूमि स्वामी मिलकर भी विकास अनुज्ञा के लिए आवेदन कर सकेंगे। टाउनशिप और बहुमंजिला इमारतों के प्रोजेक्ट के लिए ये प्रावधान लागू होंगे। 95 हजार एकड़ जमीनों का लैंड यूज हो चुका है फ्रीज
आगामी 2035 के मास्टर प्लान में जो 79 गांव नए निवेश क्षेत्र में शामिल किए गए हैं उनकी लगभग 95 हजार एकड़ जमीनों का लैंड यूज फ्रीज हो गया है। हालांकि इनमें से पिछले कुछ वर्षों में 30 हजार एकड़ जमीनों पर नक्शे मंजूर हो गए हैं। चूंकि मास्टर प्लान…
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