भोपाल। केंद्र की मोदी सरकार द्वारा सेना में भर्ती की नई योजना ‘अग्निपथ’ के विरोध में शुक्रवार से लगातार देशभर के विभिन्न राज्यों में भीषण हिंसा, हंगामा, आगजनी और फायरिंग की घटनाएं देखने को मिल रही हैं। विरोध प्रदर्शन के चलते 200 से ज्यादा ट्रेनें प्रभावित हुई, जबकि बड़ी संख्या में ट्रेनें विभिन्न स्टेशनों पर फंसी हुई हैं। आंदोलन प्रभावित इलाकों से गुजरने वाली कई ट्रेनों को रद्द कर
कुलमिलाकर अब सरकार की इस महत्वाकांक्षी अग्निपथ योजना सरकार के गले की फांस बनती जा रही है। इसका अंदाजा अब इस बात से लगा लीजिए की एमपी के सीएम शिवराज सिंह चौहान के आश्वासन के बाद भी राज्य में हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए। ग्वालियर में भीषण झड़प और पथराव के एक दिन बाद इंदौर के लक्ष्मीबाई नगर रेलवे स्टेशन से हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए. प्रदर्शनकारियों ने दो ट्रेनों को अवरुद्ध कर दिया और कम से कम पांच पुलिसकर्मियों को घायल कर दिया। विरोध प्रदर्शनों देख साफ मालूम पड़ रहा है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का आश्वसान भी किसी काम नहीं आया।
आपको बता दें कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बुधवार को घोषणा की थी कि राज्य पुलिस सेवा भर्ती में ‘अग्निवीर’ को प्राथमिकता दी जाएगी। उन्होंने कहा था कि अग्निपथ योजना के तहत सेवा देने वाले सैनिकों को मध्य प्रदेश पुलिस में भर्ती में प्राथमिकता दी जाएगी। अप्रैल से विरोध प्रदर्शन कर रहे पूर्व सैनिकों ने उनके वादों पर सवाल उठाए हैं, उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने इस साल पूर्व सैन्य कर्मियों के लिए पुलिस में 10 प्रतिशत आरक्षण को समाप्त कर दिया है।
विरोध प्रदर्शन में भाग लेने वाले एक सेवानिवृत्त सैनिक अनिल सिंह का कहना है कि कहा कि हमें 1999 से 10 प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिल रहा है, लेकिन राज्य सरकार ने इसे रोक दिया है। हम राज्य सरकार से हमारे अनुरोध पर विचार करने का अनुरोध कर रहे हैं। इस मामले को लेकर कुछ पूर्व सैनिकों ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय का भी दरवाजा खटखटाया है, जिसने राज्य सरकार और मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (एमपीपीएससी) को सेवानिवृत्त सैन्यकर्मियों को आरक्षण का लाभ नहीं देने के लिए नोटिस जारी किया है।
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