उज्जैन। देश के विभाजन होने से कितनी हानि हुई उस व्यथा को कह पाना मुश्किल है जिन्होंने इस विभाजन को देखा है उनको सुनने मात्र से ही दिल कांप जाता है। यह बात राष्ट्रीय सेविका समिति द्वारा स्वाधीनता का अमृत महोत्सव के अंतर्गत आयोजित व्याख्यान में मुख्य वक्ता के रूप में प्रेमचंद शोधपीठ की निदेशक अनिता पंवार ने 1857 के समर तथा भारत विभाजन की विभीषिका को बताते हुए कही।
लोकमान्य टिलक हा.से. विद्यालय सीबीएसई में आयोजित व्याख्यान में स्वागत विद्यालय की प्राचार्य डॉ. संगीता पातकर ने किया। राष्ट्र सेविका समिति विभाग बौद्धिक प्रमुख डॉ. रेखा भालेराव, विद्यालय के उप प्राचार्य डॉ मिलिंद शुक्ल, देवेश श्रीवास्तव, अरविंद खोत, सावंत, कविता तेलंग, रंजना, अदिति रेणुका तथा समिति की पदाधिकारी तथा बहनें उपस्थित थीं। संचालन रुपाली विपट ने किया। व्यक्तिगत गीत सुनील चौहान ने गाया।
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