जिनेवा । विश्व व्यापार संगठन (WTO) सम्मेलन में विभिन्न राष्ट्रों के बीच मैराथन वार्ता के बाद अहम मुद्दों पर सहमति बन गई है. सूत्रों ने इसकी जानकारी दी. अधिकारियों ने कहा कि, भारत (India) ने सभी मुद्दों पर अपना दृष्टिकोण पेश किया और कहा कि देश ने अपने हितों से कभी समझौता नहीं किया.
अधिकारियों ने बताया कि, ‘आउटकम डॉक्यूमेंट्स’ में तीन विवादित पैराग्राफ अब भारत के दृष्टिकोण को दर्शाते हैं. सूत्रों ने कहा कि सामान्य अनुच्छेदों को कम कर दिया गया है. इसमें बौद्धिक संपदा अधिकार (ट्रिप्स) छूट के व्यापार-संबंधी पहलू कच्चे माल तक भी विस्तारित होंगे.
वहीं मत्स्य पालन स्थगन मामले के बारे में भी कोई उल्लेख नहीं मिला. उम्मीद है कि नौ महीने में होने वाली अगली मंत्रिस्तरीय बैठक में इसकी चर्चा की जाएगी. अधिकारियों ने कहा कि कृषि के मुद्दे पर यथास्थिति बनाए रखी गई है.
गरीबों के कल्याण पर पीएम मोदी के विजन की चर्चा
कृषि और मत्स्य पालन के मुद्दे पर भारत के साथ बातचीत अटकी हुई है. क्योंकि इस विषय पर अधिकांश विकसित अर्थव्यवस्थाओं द्वारा उठाए गए रुख का नई दिल्ली समेत विकासशील देशों ने विरोध किया था. इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसमिशन पर ड्यूटी लगाने पर स्थगन के मुद्दे पर भी यथास्थिति बनी हुई है.
इस सम्मेलन में गरीबों के कल्याण पर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के विजन को बताया गया. यह दर्शाता है कि भारत वैश्विक नेतृत्व की भूमिका में आगे बढ़ रहा है. भारत विश्व व्यापार संगठन की वार्ता के केंद्र में था और हर बैठक के परिणाम पर इसकी मुहर देखने को मिली. नई दिल्ली ने पहले की तरह प्रतिक्रियाशील होने के बजाय विश्व व्यापार संगठन वार्ता के सभी मुद्दों पर मुखरता से अपनी बात रखी.
भारत ने मत्स्य पालन, स्वास्थ्य, विश्व व्यापार संगठन में सुधारों, डिजिटल प्रौद्योगिकी, भोजन और पर्यावरण पर एक सर्वसम्मत समझौते के लिए सदस्यों को एकजुट किया. सभी देश एमएसएमई, किसानों और मछुआरों के हितों के लिए मजबूती से खड़े थे.
विश्व व्यापार संगठन में भारत के सैद्धांतिक रुख से गरीबों और कमजोर लोगों की आवाज विश्व स्तर पर मजबूत हुई है. वे दिन गए जब देश को गरीबों को चोट पहुंचाने वाले परिणामों को स्वीकार करने के लिए बाध्य किया जा सकता था.
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