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    गिरते बाजार में घरेलू संस्थागत निवेशकों का रिकॉर्ड निवेश

  • June 16, 2022

    – 2022 में घरेलू संस्थागत निवेशकों ने 2 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया

    नई दिल्ली। घरेलू शेयर बाजार (domestic stock market) में साल 2022 में आई गिरावट ने घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) को निवेश करने के लिए एक बड़ा मौका दे दिया है। इस साल घरेलू संस्थागत निवेशक (domestic institutional investors) भारतीय शेयर बाजार (Indian stock market) में 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश (Investing more than Rs 2 lakh crore) कर चुके हैं। घरेलू संस्थागत निवेशकों द्वारा भारतीय शेयर बाजार में निवेश का ये आंकड़ा एक कैलेंडर वर्ष में किए गए निवेश का अभी तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है। ये स्थिति भी तब है, जबकि 2022 के खत्म होने में अभी भी छह महीने से ज्यादा समय बाकी है।

    शेयर बाजार के जानकारों का मानना है कि घरेलू शेयर बाजार में मंदी का ये दौर अगर कुछ और समय तक जारी रहा, तो साल 2022 के अंत तक घरेलू संस्थागत निवेशकों द्वारा शेयर बाजार में किए गए निवेश का आंकड़ा 5 लाख करोड़ रुपये के स्तर को भी पार कर सकता है। धामी सिक्योरिटीज के वाइस प्रेसिडेंट प्रशांत धामी के मुताबिक इस साल अभी तक शेयर बाजार में आई गिरावट के दौरान जहां घरेलू संस्थागत निवेशक नेट बायर (शुद्ध लिवाल) रहे हैं, तो वहीं विदेशी संस्थागत निवेशक नेट सेलर (शुद्ध बिकवाल) की भूमिका निभा रहे हैं।

    धामी के मुताबिक यूएस फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी करने और इस बढ़ोतरी को जारी रखने का संकेत देने के बाद से ही विदेशी निवेशक भारतीय शेयर बाजार समेत दुनियाभर के ज्यादातर बाजारों से अपना पैसा निकालने में लगे हुए हैं। अपना पैसा निकालने के लिए विदेशी निवेशक चौतरफा बिकवाली कर रहे हैं, जिससे शेयर बाजार में तेज गिरावट का रुख बना है। दूसरी ओर यही गिरावट घरेलू संस्थागत निवेशकों के लिए कम कीमत पर शेयर खरीदने का अवसर भी बन गया है।

    पिछले करीब 8 महीने से भारतीय शेयर बाजार में गिरावट का दौर लगातार जारी है। 19 अक्टूबर 2021 को बीएसई का सेंसेक्स 62,245.43 अंक के अपने सर्वोच्च स्तर पर पहुंचा था। उसी दिन एनएसई के निफ्टी ने भी 18,604.45 अंक के स्तर पर पहुंच कर ऑल टाइम हाई का रिकॉर्ड बनाया था। उसके बाद से शेयर बाजार में लगातार गिरावट का दौर जारी है। सेंसेक्स अपने ऑल टाइम हाई से करीब 10 हजार अंक नीचे लुढ़ककर कारोबार कर रहा है। वहीं निफ्टी में भी 2,800 अंक से अधिक की गिरावट आ चुकी।

    अगर सिर्फ साल 2022 की ही बात की जाए, तो इस साल 18 जनवरी को सेंसेक्स 61,475.15 अंक के स्तर पर और निफ्टी 18,350 अंक के स्तर पर पहुंचा हुआ था। लेकिन उसके बाद की 5 महीने की अवधि में ही सेंसेक्स 8,675 अंक से ज्यादा और निफ्टी 2,570 अंक से अधिक लुढ़क चुका है।

    मार्केट एनालिस्ट मयंक मोहन के मुताबिक भारतीय शेयर बाजार को गिराने में विदेशी निवेशकों की बिकवाली का अहम योगदान रहा है। लेकिन उनकी इसी बिकवाली ने घरेलू संस्थागत निवेशकों को घरेलू शेयर बाजार में तुलनात्मक तौर पर कम कीमत में बड़ा निवेश करने का मौका मुहैया करा दिया है। इस निवेश के जरिए घरेलू संस्थागत निवेशकों के पास कम कीमत में अच्छे स्टॉक्स का बड़ा भंडार इकट्ठा हो गया है।

    मयंक मोहन का कहना है कि कुछ समय बाद जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थितियां सुधरेंगी और शेयर बाजार बाउंस बैक करेगा, तो अभी बिकवाली करने वाले विदेशी निवेशक उस समय चौतरफा लिवाली करने में जुट जाएंगे। ऐसा होने पर उस समय घरेलू संस्थागत निवेशक अभी खरीदे गए शेयरों को ऊंची कीमत पर बिक्री करके अच्छा मुनाफा कमाने की स्थिति में होंगे।

    हालांकि कुछ जानकारों का ये भी कहना है कि घरेलू संस्थागत निवेशकों के लिए अभी जमकर खरीदारी करना उनके भविष्य के कारोबार के लिहाज से एक बड़ा जुआ भी साबित हो सकता है। क्योंकि अगर अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियां उनकी उम्मीद के मुताबिक जल्द ही सकारात्मक नहीं हुईं और शेयर बाजार में तेजी का रुख नहीं बना, तो घरेलू संस्थागत निवेशकों के लिए इस साल अभी तक किए गए 2 लाख करोड़ रुपये के भारी भरकम निवेश को लंबे समय तक होल्ड कर पाना आसान नहीं होगा। ऐसी स्थिति में अपना कारोबार जारी रखने के लिए उन्हें जबरदस्त नुकसान का सामना करके अभी के निवेश को बाजार में और भी कम कीमत पर निकालना भी पड़ सकता है।

    स्टॉक ब्रोकर नीरव बखारिया के मुताबिक रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध अगर लंबा खिंचा, तो पूरी दुनिया को एक बार फिर 2008 जैसी मंदी का सामना करना पड़ सकता है। खासकर अमेरिका समेत दुनिया के तमाम विकसित देशों में जिस तरह महंगाई बढ़ी है, उसने मंदी का संकेत दे दिया है। अमेरिका में महंगाई फिलहाल रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है और पिछले 40 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थितियों में जल्द सुधार होने की अपेक्षा नहीं की जानी चाहिए।

    हालांकि बखारिया का ये भी कहना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था के फंडामेंटल्स इतने मजबूत हैं कि ग्लोबल मार्केट में बन रही दबाव की स्थिति का भारतीय बाजार पर बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ना चाहिए। भारतीय शेयर बाजार में निगेटिव ग्लोबल सेंटीमेंट्स कारण तात्कालिक असर जरूर पड़ सकता है, लेकिन लंबे समय तक ये गिरावट कायम रहने वाली नहीं है। इसलिए इस बात की संभावना कम ही है कि भारतीय शेयर बाजार लंबे समय तक गिरावट का शिकार बना रहेगा।

    बखारिया का कहना है कि सेंसेक्स के लिए 52,0000 अंक के स्तर पर और निफ्टी के लिए 15,200 अंक के स्तर पर स्ट्रॉन्ग सपोर्ट बना हुआ है। सेंसेक्स के लिए 50,000 और निफ्टी के लिए 14,800 अंक के स्तर पर हेवी बैरियर भी है। अगर बिकवाली के दबाव में बाजार इस स्तर से नीचे चला जाता है, तो इसे घरेलू संस्थागत निवेशकों द्वारा पिछले पांच-छह महीने में किए गए ताबड़तोड़ निवेश के लिए खतरे की घंटी मानना चाहिए। अगर इस बैरियर के पहले ही शेयर बाजार की गिरावट रुक जाती है, तो फिर उसके बाउंस बैक करने में देर नहीं लगेगी। और जैसे ही शेयर बाजार बाउंस बैक करेगा, वैसे ही घरेलू संस्थागत निवेशकों की गिरावट वाले बाजार में निवेश करने की रणनीति पूरी तरह से सफल हो जाएगी। (एजेंसी, हि.स.)

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