छतरपुर। केन-बेतवा लिंक परियोजना का निर्माण कार्य आठ साल में पूरा होगा। निर्माण कार्य की कार्ययोजना तैयार कर ली गई है। परियोजना के प्रीकंस्ट्रक्शन और इनवेस्ट सर्वे के लिए 243 दिन का समय तय किया गया है। वहीं 730 में जमीन अधिग्रहण का लक्ष्य रखा गया है। जबकि पहुंच मार्ग के लिए 487 दिन, प्रोजेक्ट रोड के लिए 488 दिन, ऑफिस व कर्मचारी निवासी के लिए 518 दिन और निर्माण के लिए बिजली उपलब्ध कराने के लिए 549 दिन का लक्ष्य रखा गया है। वहीं विस्तृत डिजाइन व ड्राइंग के लिए 730 और टेंडर प्रक्रिया के लिए 640 दिन का समय तय किया गया है। यानि 2 साल बाद ही निर्माण कार्य शुरु होगा।
प्रक्रिया शुरु होने के दो साल बाद शुरु होगा बांध का काम
टेंडर की प्रक्रिया के बाद डाइवर्सन नहर की खुदान का काम शुरु होगा। जिसके लिए 182 दिन का समय तय किया गया है। वहीं कांक्रीट व कॉफर डैम निर्माण के लिए भी 182 दिन का समय लगेगा। इसके बाद परियोजना के मुख्य बांध ढोढऩ का अर्थवर्क शुरु होगा। बांध के फाउंडेशन कार्य में ही 1917 दिन यानि 5 साल का समय लगेगा। वहीं बांध का कांक्रीट वाला हिस्सा निर्माण करने के लिए 2098 दिन यानि इसमें भी 5 साल से ज्यादा का समय लगेगा। सबसे अंत में पावर हाउस का काम्पलेक्स बनाया जाएगा। जिसके निर्माण में 912 दिन का समय लगेगा। इस तरह से मुख्य बांध का संपूर्ण निर्माण कार्य 8 साल में पूरा होगा।
वन्यजीवों की शिफ्टिंग की योजना पर काम शुरु
बाघों को बचाने के लिए नौरादेही वन्यजीव अभयारण्य और दुर्गावती वन्यजीव अभयारण्य, उत्तर प्रदेश के रानीपुर वन्य जीव अभयारण्य के बीच कॉरिडोर का निर्माण किया जाएगा। वहीं, बाघ, गिद्ध और घडिय़ाल जैसी प्रमुख जातियों के संरक्षण और उन्हें आवास के साथ-साथ बेहतर प्रबंधन देने के लिए भी इस एकीकृत प्लान में व्यापक प्रावधान किए गए हैं। परियोजना से पन्ना टाइगर रिजर्व का करीब 50 फीसदी हिस्सा पानी में डूब जाएगा। ऐसे में टाइगर रिजर्व के दोनों नदियों केन और बेतवा पर बनने वाले ढोढन बांध में अब सबसे बड़ी अड़चन पन्ना टाइगर रिजर्व ही है। पहले यहां से वन्यजीवों को दूसरी जगह शिफ्ट किया जाना है। इसके लिए प्रक्रिया तेज हो गई है।
परियोजना में विस्थापित होंगे 21 गांव
केन- बेतवा लिंक परियोजना की वजह से पन्ना टाइगर रिजर्व का आधा क्षेत्र डूब जाएगा। ऐसे में पार्क के वन्य प्राणियों को दूसरे स्थान पर सुरक्षित बसाने के लिए कोर एरिया को विस्तार देने की योजना है। इसके लिए पार्क से सटे 21 गांवों के लोगों को विस्थापित किया जाएगा। इनमें पन्ना जिले के सात और छतरपुर के 14 गांव हैं। छतरपुर एवं पन्ना कलेक्टर ने संबंधित गांवों में संपत्ति का सर्वे शुरू करा दिया है। अगले छह से आठ महीने में सर्वे का काम पूरा होने की संभावना है। उधर, दोनों नदियों पर बनने वाले ढोढऩ बांध को लेकर तमाम तरह के निर्णय लेने का अधिकार रखने वाली केन-बेतवा लिंक परियोजना अथारिटी का कार्यालय भी जून में ही भोपाल में खुल जाएगा। विश्वेश्वरैया भवन में अथारिटी को जगह दी गई है। इसके बाद छतरपुर जिले में भी कार्यालय खोला जाएगा।
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