नई दिल्ली । भारतीय मानक कच्चे तेल (Crude oil) की कीमतें बढ़कर 10 साल के उच्च स्तर पर पहुंच गई। इसके बावजूद देश में पेट्रोल-डीजल (petrol-diesel) के दाम स्थिर बने हुए हैं। पेट्रोलियम नियोजन एवं विश्लेषक प्रकोष्ठ के मुताबिक, भारत की ओर से खरीदे जाने वाले कच्चे तेल की कीमतें (prices) 9 जून को बढ़कर 121.28 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गईं।
यह फरवरी/मार्च, 2021 के बाद एक दशक का उच्च स्तर है। रूस-यूक्रेन युद्ध के तुरंत बाद भारतीय मानक कच्चा तेल 25 फरवरी, 2022 से 29 मार्च के बीच औसतन 111.86 डॉलर प्रति बैरल रहा। उधर, अमेरिका जैसे प्रमुख ग्राहकों की मजबूत मांग के कारण वैश्विक बाजार में कच्चा तेल बृहस्पतिवार को 13 सप्ताह के उच्च स्तर पर पहुंच गया था।
जुलाई-अगस्त के वायदा भाव में कमी
वैश्विक बाजार में अगस्त के लिए ब्रेंट क्रूड का वायदा भाव 0.81 डॉलर घटकर 122.26 डॉलर प्रति बैरल पर आ गई। अमेरिकी मानक कच्चा तेल का भाव जुलाई के लिए 0.79 डॉलर घटकर 120.72 डॉलर रहा। कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव के बावजूद देश में खुदरा कीमतें स्थिर बनी हुई हैं। इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम नवंबर, 2021 से पेट्रोल पंपों पर बिकने वाले ईंधन के दाम लागत से कम रखे हुए हैं। भारत अपनी कुल जरूरतों का 85 फीसदी कच्चा तेल आयात करता है।
कंपनियों को प्रति लीटर 21 रुपये तक नुकसान
उद्योग के सूत्रों का कहना है कि स्थानीय पेट्रोल पंपों पर कीमतें 85 डॉलर प्रति बैरल के मानक के अनुसार हैं। महंगाई पर काबू पाने में सरकार की मदद करने के लिए तेल कंपनियों ने कीमतें नहीं बढ़ाई हैं। ऐसे में उद्योग को पेट्रोल पर 18 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 21 रुपये प्रति लीटर का नुकसान हो रहा है।
सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियां नुकसान के बावजूद कामकाज जारी रखी हुई हैं।
रिलायंस-बीपी और नायरा एनर्जी जैसी निजी क्षेत्र की खुदरा कंपनियों ने घाटा कम करने को परिचालन सीमित किया है।
कुछ स्थानों पर नायरा सरकारी इकाइयों के मुकाबले तीन रुपये लीटर ज्यादा दाम पर पेट्रोल-डीजल बेच रही है।
डीजल में तेजी का महंगाई पर व्यापक असर
खुदरा महंगाई अप्रैल में आठ महीने के उच्च स्तर 7.8 फीसदी पर पहुंच गई। ईंधन और खासकर डीजल की कीमतें में बढ़ोतरी का महंगाई पर व्यापक असर होता है।
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