उज्जैन। पंचक्रोशी यात्रा निपटने के बाद आई शनिश्चरी अमावस्या तक शिप्रा में त्रिवेणी संगम पर नर्मदा से आया साफ पानी भरा गया था। इसके लगभग 1 महीने बाद इस ऐरिया में शिप्रा फिर से सूख चुकी है। हालत यह है कि संगम क्षेत्र में नदी की जमीन नजर आने लगी है। 432 करोड़ की कान्ह डायवर्शन योजना सिर्फ स्नान पर्वों के काम की ही रह गई है। गत वर्ष हुई अल्प बारिश के चलते जहाँ एक ओर जून का महीना आते-आते गंभीर डेम में 500 एमसीएफटी से कम पानी शेष रह गया है, वहीं जिले के 52 छोटे-बड़े तालाब और जल स्त्रोत भी दम तोड़ चुके हैं। त्रिवेणी क्षेत्र में शिप्रा में भी पानी तभी नजर आता है, जब कोई स्नान पर्व आने वाला होता है।
अप्रैल के महीने में पंचक्रोशी यात्रा आरंभ हुई थी और इसके बाद शनिश्चरी अमावस्या का स्नान पर्व आया था। उस दौरान जल संसाधन विभाग ने नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण से स्नान के लिए शिप्रा का पानी पाईप लाईन के जरिये पहुँचाने के लिए पत्र लिखे थे। माँग पर यह पानी शिप्रा में भेजा गया था। उस दौरान लगभग 1 महीने पहले नर्मदा का पानी आना शुरु होते ही त्रिवेणी घाट क्षेत्र और संगम क्षेत्र में शिप्रा नदी में फिर से पानी नजर आने लगा था लेकिन अब वहाँ पानी नहीं बचा है और त्रिवेणी क्षेत्र में शिप्रा किसी बड़े स्थानीय नाले जैसी बहती हुई दिखाई दे रही है और नदी के बीचों बीच सूखी जमीन और मैदान जैसा नजारा बन गया है। स्नान निपटने के बाद त्रिवेणी से लेकर गऊघाट बैराज के बीच नर्मदा का भरा गया पानी आगे बढ़ा दिया गया था और गऊघाट से लेकर रामघाट तक इस पानी को सहेजकर रखा गया था। त्रिवेणी से पानी आगे बढऩे के बाद से ही संगम क्षेत्र में शिप्रा सूखने लगी थी।
4 दिन प्रवाहमान, शेष दिन वही स्थिति
सिंहस्थ 2016 के पहले राज्य शासन ने नर्मदा-शिप्रा लिंक योजना प्रोजेक्ट पर 432 करोड़ रुपए खर्च किए थे। दावा किया गया था कि इस योजना के बाद नर्मदा का पानी शिप्रा में आएगा और पूरे साल शिप्रा नदी त्रिवेणी से लेकर कालियादेह महल तक प्रवाहमान नजर आएगी लेकिन सिंहस्थ निपटने के बाद से लेकर अब तक यह प्रोजेक्ट भी शिप्रा को प्रवाहमान नहीं बना पाया। नर्मदा शिप्रा लिंक योजना सिर्फ पिछले 6 सालों में स्नान पर्वों के दौरान औंकारेश्वर से रामघाट तक सिर्फ नर्मदा का पानी लाने के काम ही आ रही है।
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