लंदन। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के भविष्य को लेकर कई तरह की अटकलें लगना शुरू हो चुकी हैं। खासकर उनके पीएम पद पर रहने को लेकर। जॉनसन पर यह तलवार कोरोनाकाल के दौरान सत्तासीन पार्टी के कुछ सांसदों द्वारा पार्टी करने के मामले में लटक रही है। दरअसल, उन पर आरोप हैं कि जहां कोरोना की वजह से पूरा ब्रिटेन लॉकडाउन और सख्त प्रतिबंधों का सामना कर रहा था, वहीं सांसद अपने घरों में जुटकर पार्टी कर रहे थे।
इस पूरे वाकये को ब्रिटेन में पार्टीगेट स्कैंडल करार दिया गया और मामले में पीएम जॉनसन, उनकी पत्नी समेत कई लोगों को दोषी पाया गया। बताया गया है कि ब्रिटेन की सत्ताधारी कंजर्वेटिव पार्टी के 40 से ज्यादा सांसदों ने ही अपने पीएम से इस्तीफे की मांग कर दी है। इन सांसदों ने आरोप लगाया है कि जॉनसन ने अपने नेतृत्व में प्रधानमंत्री आवास (डाउनिंग स्ट्रीट) में यह पार्टियां होने दीं और मुश्किल वक्त के बावजूद वे खुद भी इनमें शामिल रहे।
वेकफील्ड में 23 जून को होने वाले उपचुनाव से पहले मतदाताओं के एक सर्वे में सामने आया कि कंजर्वेटिव पार्टी को इस स्कैंडल की वजह से 20 फीसदी के अंतर से भी हार झेलनी पड़ सकती है। संडे टाइम्स और जेएल पार्टनर्स की ओर से किए गए इस सर्वे में कहा गया है कि आगामी उपचुनाव में लेबर पार्टी 48 फीसदी और कंजर्वेटिव पार्टी 28 फीसदी मत पा सकती है।
यानी उसे ढाई साल पहले के जीत वाले वोटिंग प्रतिशत से 19 फीसदी कम वोट मिल सकते हैं। यानी ऐसा कोई भी नतीजा सीधे तौर पर पार्टी में ही जॉनसन के इस्तीफे की मांग को बल देगा। इसकी वजह यह है कि वेकफील्ड का संसदीय क्षेत्र कुछ समय पहले तक लेबर पार्टी का बड़ा समर्थक था। लेकिन 2019 के पिछले चुनाव में इस क्षेत्र में कंजर्वेटिव पार्टी को जीत मिली थी।
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