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पुलिसिया रिमांड के बाद साइबर सेल करेगी पूछताछ, दो बड़े कबाड़ी भी शामिल

May 31, 2022

  • मामला फर्जी कम्पनियों के सहारे किए करोड़ों रुपए के जीएसटी घोटाले का, दो दर्जन से अधिक फर्में चिन्हित, गुजरात तक मिले कनेक्शन

इन्दौर। वाणिज्यिक कर विभाग ने जो फर्जी कम्पनियों के जरिए किए गए करोड़ों के जीएसटी घोटाले का पता लगाया, उसकी जांच साइबर सेल को भी सौंपी गई है। अभी जो पांच आरोपी पुलिस ने गिरफ्तार किए हैं। उनका रिमांड चल रहा है और उसके बाद साइबर सेल द्वारा पूछताछ की जाएगी। गुजरात सहित कई राज्यों तक इसके तार जुड़े मिले हैं, वहीं दो बड़े कबाड़ी इंदौर के भी इस घोटाले में लिप्त पाए गए हैं। साइबर सेल एसपी जितेन्द्र सिंह के मुताबिक इस पूरे घोटाले की तह तक जाएंगे और पुलिस का रिमांड समाप्त होने के बाद आरोपियों से पूछताछ की जाएगी।

अभी वाणिज्यिक कर विभाग ने इंदौर सहित प्रदेश के कई जिलों में छापामार कार्रवाई करते हुए एक दर्जन से अधिक व्यावसायिक प्रतिष्ठानों से लगभग 50 करोड़ रुपए की नियम विरुद्ध खरीदी-बिक्री उजागर की। वाणिज्यिक कर आयुक्त लोकेश जाटव के मुताबिक फर्जी दस्तावेजों के जरिए बोगस कम्पनियां बनाई गर्इं, जिनमें कई तो मृतकों के नाम पर भी ये कम्पनियां बन गईं। इधर पुलिस ने इस मामले में कुछ आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिसमें आमिर और अरशान की रिमांड अवधि पूरी होने पर उन्हें जेल भेजा गया, वहीं तीन आरोपियों को साइबर सेल ने गिरफ्तार किया है, जिनमें सुलेमान, नसरूद्दीन और फिरोज खान ये सभी आरोपी गुजरात के सूरत के निवासी हैं।


साइबर सेल एसपी सिंह के मुताबिक पुलिसिया रिमांड समाप्त होते ही इन आरोपियों से पूछताछ की जाएगी और किस तरह से डाटा सहित मोबाइल, लैपटॉप, कम्प्यूटर का इस्तेमाल किया गया और इसमें कौन-कौन लिप्त हैं, उनकी जानकारी निकाली जाएगी। इधर सूत्रों के मुताबिक इंदौर के दो बड़े कबाड़ी, जो स्क्रैप कारोबार से जुड़े हैं, उनके नाम भी इस फर्जीवाड़े में सामने आए हैं। जीएसटी, इनपुट टैक्स क्रेडिट घोटाला 500 करोड़ से अधिक का हो सकता है।

जीएसटी की रिसर्च एंड एनालिसिस विंग लगी है रिटर्न करने की जांच में इसी से निकल रहे हैं घोटाले…
फर्जी कंपनियों के जरिए गलत इनपुट टैक्स क्रेडिट लेने का मामला हो या फिर रिटर्न में कम कारोबार बताकर टैक्स चोरी करने का, इन सभी का पता लगाने के लिए जीएसटी विभाग की रा विंग यानि रिसर्च एंड एनालिसिस विंग सक्रिय हो गई है। वाणिज्यिक कर मुख्यालय में दुनिया की जानीमानी फर्म अर्नेस्ट एंड यंग द्वारा इसका काम किया जा रहा है। यहां सर्वर के माध्यम से मप्र में रजिस्टर्ड सभी कारोबारियों के हर माह जमा होने वाले रिटर्न को क्रास चेक किया जाता है। कहां से उन्होंने माल लिया औऱ् कहां किसे बेचा। इसके आधार पर माल को आगे बेचने वाले के रिटर्न को चेक किया जाता है। आयुक्त लोकेश कुमार जाटव ने कहा कि विगं से काफी अहम जानकारियां मिल रही हैं और इसके चलते टैक्स चोरी पर काफी नियंत्रण हो रहा है। इससे अधिक करदाताओं को जोडऩे में भी मदद मिल रही है।

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