इंदौर। चौड़ी सड़कों के बनने व चौराहों पर टर्निंग पॉइंट में सुधार के चलते और पर्याप्त पुलिस बल की मौजूदगी के कारण बेहतर परिणाम सामने नजर आने लगे हैं। बांड रोड, फीडर रोड, एमआर और स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत इंदौर में पिछले वर्षों में जो चौड़ी और व्यवस्थित सड़कें बनी हैं, उनके सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। नेशनल क्राइम रिपोर्ट ब्यूरो (एनसीआरबी) की मानें तो 2019 के मुकाबले 2020 में सड़क हादसों में 37 प्रतिशत की कमी आई है। इसके साथ ही हादसों में मरने वालों की संख्या भी 14.4 प्रतिशत कम हुई है। विशेषज्ञों की मानें तो फोरलेन और सिक्सलेन सड़कें बनने से हादसे कम हुए हैं। जो हादसे हो रहे हैं, वह वाहन चालकों की ओवरस्पीड से हो रहे हैं। अपनी स्पीड कंट्रोल करना लोगों की जिम्मेदारी है।
एनसीआरबी ने 2020 की एनालिसिस रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में डराने वाली बात यह है कि सड़क हादसे के मामले में मप्र दूसरे नंबर पर है, जबकि तमिलनाडु पहले नम्बर पर है। राहत की बात यह है कि इंदौर जैसे शहर में जहां बेहिसाब नए वाहन पंजीबद्ध हो रहे हैं, वहीं इसके बावजूद सड़क हादसों में कमी आई है। 2019 में 3336 रोड एक्सीडेंट हुए थे, जिनमें 1142 लोगों की जान गई थी, वहीं 2020 में कुल 2101 एक्सीडेंट हुए और 977 की जान गई। इंजीनियरों के अनुसार सड़क चौड़ी होने के साथ ही डिवाइडर, लेफ्ट टर्न और चौराहों का विकास हुआ है। सबसे ज्यादा एक्सीडेंट 312 जनवरी में हुए।
सबसे कम 18 एक्सीडेंट अप्रैल और 53 मई में हुए, जब लॉकडाउन लगा हुआ था। लॉकडाउन के धीरे-धीरे खुलने का असर अगस्त तक रहा। जहां जून में 101, जुलाई में 141 और अगस्त में 140 एक्सीडेंट केस रिपोर्ट हुए थे। इसी तरह सबसे ज्यादा एक्सीडेंट शाम 6 से रात 9 बजे के बीच हुए हैं, जब शहर में यातायात का दबाव सबसे अधिक रहता है। इस दौरान 403 हादसे रिपोर्ट हुए थे। इस कड़ी में 12 से 3 और 3 से 6 का वक्त भी शामिल है। जब 385 से अधिक हादसे हुए हैं। 2018 में इस दौरान 500 से ज्यादा केसेस रिपोर्ट हुए थे। हादसे की इस अवधि और इसी अवधि में यातायात के भारी दबाव को देखते हुए बड़ी तादाद में पुलिस बल चौराहों पर नियुक्त कर रखा है, वहीं स्पीड और यातायात नियमों का उल्लंघन भी काफी हद तक रोका है।
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