सारा देश…एक कानून…राज्यों को दी हरी झंडी
नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा एक देश-एक कानून, अर्थात समान नागरिक संहिता कानून लाने की तैयारी शुरू कर दी गई है। इस बिल को कभी भी संसद में पेश किया जा सकता है। इस कानून के बाद हिंदू, मुस्लिम, पारसी या किसी और अल्पसंख्यक धर्म के कानून की जगह एक सार्वजनिक कानून लागू होगा। फिलहाल सभी धर्म अपना अलग-अलग कानून लागू करते हैं, जिससे देश में हर धर्म के लिए कानून की अलग-अलग विवेचनाओं का द्वंद्व हो रहा है।
केंद्र सरकार ने समान नागरिक संहिता कानून लाने के लिए ड्राफ्ट तैयार कर लिया है और राज्य सरकारों को भी ड्राफ्ट तैयार करने के लिए हरी झंडी दे दी है। राज्य सरकारें कानून मंत्रालय द्वारा सुझाए गए बिंदुओं के आधार पर ड्राफ्ट तैयार करने में जुट गई हैं। सरकार के उच्चतर सूत्रों के अनुसार राज्यों में बने नागरिक संहिता के कानूनों को बाद में केंद्रीय कानूनों में समाहित कर दिया जाएगा।
कई मुकदमों की संख्या घटेगी
देश में समान नागरिक संहिता होने से देश की अदालतों में अंतरधार्मिक विवाह और उनसे उत्पन्न संतानों और पारिवारिक विवादों से जुड़े मुकदमे घटेंगे। एक अनुमान के मुताबिक मुकदमों की संख्या में 20 से 25 फीसदी कमी आ सकती है, क्योंकि इन धार्मिक कानूनों की वजह से चल रहे दिवानी, यानी सिविल मुकदमे अपने आप खत्म हो जाएंगे, क्योंकि फिर समान कानून आईपीसी, यानी भारतीय दंड संहिता की तरह सब पर एक समान रूप से लागू होगा।
उत्तराखंड में कमेटी गठित, मप्र सहित कई राज्यों में बनेगी
केंद्र के निर्देश पर उत्तराखंड समान नागरिक संहिता ड्राफ्ट के लिए कमेटी बनाने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। उधर मप्र, हिमाचलप्रदेश और उत्तरप्रदेश में कमेटी बनाने पर विचार चल रहा है।
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