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    बिजली संकट: 7 साल बाद भारत करने जा रहा ‘कोयला आयात’ : रिपोर्ट

    May 29, 2022

    नई दिल्ली। देश में लगातार हो रही बिजली की कमी को देखते हुए सरकार के स्वामित्व वाली कोल इंडिया (Coal India Limited)ने बड़ा फैसला लिया है। कोल इंडिया लिमिटेड (Coal India Limited), वर्ष 2015 के बाद (नरेंद्र मोदी सरकार आने के बाद) पहली बार कोयला संकट (Coal Crisis) से निपटने के लिए कोयले का आयात (Coal Import) करेगी। आयातित ईंधन (fuel) देशभर के बिजली उत्पादन संयंत्रों को दी जाएगी।

    रॉयटर्स के मुताबिक, इस आशय का पत्र शनिवार को बिजली मंत्रालय में देखा गया है। कोयले के संकट ने नए सिरे से बिजली कटौती की आशंकाओं को गहरा दिया है। इन चिंताओं से निबटने के लिए बिजली मंत्रालय ने कई कदम उठाए हैं। अगर ऐसा होता है तो 2015 के बाद यह पहली बार होगा, जब कोल इंडिया ने ईंधन का आयात किया होगा।
    अप्रैल की घटना की पुनरावृत्ति से बचने के लिए राज्य और केंद्र के अधिकारियों ने कोल स्टॉक सुनिश्चित करने को कहा है. अप्रैल में देश भर के ताप विद्युत संयंत्रों को छह साल में पहली बार सबसे खराब कोयला संकट का सामना करना पड़ा था, जिसकी वजह से लोगों को बिजली कटौती का सामना करना पड़ा था।



    बता दें कि बिजली मंत्रालय ने 28 मई को लिखे पत्र में कहा है कि कोल इंडिया गवर्नमेंट-टू-गवर्नमेंट (G2G) के आधार पर कोयले का आयात करेगी ताकि सरकारी ताप विद्युत संयंत्रों और स्वतंत्र बिजली उत्पादकों (IPPs) के उसकी आपूर्ति की जा सके।” यह चिट्ठी सभी हितधारकों, कोयला सचिव और कोल इंडिया के अध्यक्ष सहित केंद्र और राज्य के शीर्ष ऊर्जा अधिकारियों को भेजी गई है।
    बिजली मंत्रालय ने पत्र में कहा है कि लगभग सभी राज्यों ने सुझाव दिया था कि राज्यों द्वारा अलग-अलग कोयला आयात करने से जुड़ी निविदाओं से भ्रम की स्थिति पैदा होगी, इसलिए कोल इंडिया के माध्यम से ही केंद्रीकृत खरीद की जाय। इसी मांग के बाद यह निर्णय लिया गया है।
    गौरतलब है कि ऐसी आशंका जाहिर की गई है कि मौजूदा वित्तीय वर्ष (2022-23) की दूसरी तिमाही यानी सितंबर में समाप्त होने वाली तिमाही के दौरान भारत को कोयले की व्यापक कमी का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि तब बिजली की मांग अधिक होने की उम्मीद है। रॉयटर्स के मुताबिक, बिजली मंत्रालय की एक आंतरिक कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में ये बातें कही हैं, जिसे रॉयटर्स ने देखा है. इससे देश में व्यापक बिजली कटौती का खतरा बढ़ गया है। ऐसी आशंका जताई गई है कि सितंबर तिमाही में मांग के मुताबिक कोयले की आपूर्ति में 42.5 मिलियन टन की कमी आ सकती है. यह कमी पिछले संकट से 15 फीसदी ज्यादा हो सकती है, जब बिजली की अधिक मांग के कारण कमी उत्पन्न हुई थी।

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